रक्षा क्षेत्र के उत्पादन और रखरखाव के निजीकरण की दिशा में एक और कदम
दिल्ली में सेना बेस वर्कशॉप (एबीडब्ल्यू) का बहुत ही जल्द निजीकरण होने वाला है | बताया गया है कि निजी कंपनियों को वर्कशॉप चलाने के लिए आमंत्रित करने की योजना तैयार की गई है | एबीडब्ल्यू सेना के सभी वाहनों और उपकरणों की मरम्मत और रखरखाव करते हैं |
दिल्ली में 505 आर्मी बेस वर्कशॉप (एबीडब्ल्यू) का आने वाले दिनों में निजीकरण होने वाला है | यह बताया गया है कि एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है जिसके तहत दिल्ली एबीडब्ल्यू को चलाने के लिए निजी कंपनियों को आमंत्रित किया जाएगा | एबीडब्ल्यू सेना के सभी वाहनों और उपकरणों की मरम्मत और रखरखाव करते हैं | अब सरकार के पास केवल नाम की मलिकी होगी, जबकि निजी कंपनियों को इन महत्वपूर्ण कार्यों को करने की अनुमति दी जाएगी | इसके साथ, निजी खिलाड़ी एबीडब्ल्यू के उपकरण और कई एकड़ भूमि का उपयोग बड़ी आसानी से गैर-सैन्य उपकरणों के रखरखाव जैसी अन्य परियोजनाओं के लिए कर सकेंगे |
सरकार 41 आयुध कारखानों के निगमीकरण और आयुध फैक्ट्री बोर्ड को खत्म करने की घोषणा पहले ही कर चुकी है | लेकिन, दिल्ली एबीडब्ल्यू का सीधा निजीकरण यह साफ़ दिखता है कि रक्षा क्षेत्र के पूर्ण निजीकरण की दिशा में निगमीकरण एक कदम है |
देश में आठ एबीडब्ल्यू (दिल्ली, आगरा, पुणे और बेंगलुरु जैसे शहरों में) हैं जिनके पास हजारों करोड़ रुपये की जमीन और अन्य संपत्ति है | ये सब सार्वजनिक संपत्ति हैं, लेकिन निजी कंपनियां इनका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर सकेंगी | निजीकरण की दिशा में यह कदम न केवल हजारों मज़दूरों की नौकरियों को खतरे में डालेगा बल्कि सेना और देश के लोगों की सुरक्षा को भी दांव पर लगा देगा |