कामगार एकता कमिटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने 14 अप्रैल 2023 को नई दिल्ली में अपनी संघीय कार्यकारिणी की एक आपातकालीन बैठक आयोजित की और बिजली कर्मचारियों पर यूपी सरकार और पावर कॉरपोरेशन की सभी प्रतिशोधात्मक कार्रवाइयों को तत्काल वापस लेने और रोकने की मांग की। ये कार्रवाई ऊर्जा मंत्री द्वारा दिए गए आश्वासनों का घोर उल्लंघन है।
उ.प्र. के ऊर्जा मंत्री द्वारा दिये गये आश्वासन के आधार पर मार्च 2023 में हड़ताल वापस ली गयी थी लेकिन आपसी सहमति से सौहार्दपूर्ण ढंग से संपन्न हुए करार का उल्लंघन करते हुए राज्य सरकार एवं विद्युत निगम ने कम वेतन पाने वाले कैजुअल कर्मियों की सेवा समाप्त करने एवं कर्मचारियों के निलंबन की प्रतिशोधात्मक कार्रवाई शुरू कर दी है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उ.प्र. के बैनर तले उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी व इंजीनियर बिजली उद्योग व उसके कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए एकजुट होकर संघर्ष कर रहे हैं। उ.प्र. के ऊर्जा मंत्री और संघर्ष समिति के बीच लिखित द्विपक्षीय समझौते का सम्मान करने में उ.प्र. सरकार और पावर कॉरपोरेशन की विफलता के कारण, कर्मचारियों और इंजीनियरों को 16 मार्च 2023 की रात 10 बजे से 72 घंटे की हड़ताल करने के लिए मजबूर किया गया था।
आपातकालीन संघीय कार्यकारिणी की बैठक में महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली, जम्मू-कश्मीर सहित एक दर्जन से अधिक राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक को श्री शैलेंद्र दुबे, श्री पदमजीत सिंह, श्री रत्नाकर राव, श्री अशोक राव और राज्यों के अन्य नेताओं ने संबोधित किया। संघीय कार्यकारिणी ने संकल्प लिया कि अगर उ.प्र. के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों का उत्पीड़न तुरंत वापस नहीं लिया जाता है, तो देश भर के एक लाख बिजली इंजीनियर मूक दर्शक नहीं रहेंगे और उपचारात्मक कार्रवाई का सहारा लेने के लिए मजबूर होंगे।
संघीय कार्यकारिणी ने देश भर के इंजीनियरों और कर्मचारियों को उ.प्र. के इंजीनियरों और कर्मचारियों के समर्थन में संघर्ष करने और किसी भी बलिदान के लिए तैयार रहने का आह्वान किया।