दुनिया भर में अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे मज़दूरों को लाल सलाम!

 

मई दिवस के अवसर पर दुनिया भर के मज़दूरों ने रैलियां और जुलूस आयोजित किये

मजदूर एकता कमेटी (एम्ईसी) संवाददाता की रिपोर्ट

पूंजीपतियों और सरकारों द्वारा मज़दूरों के अधिकारों पर किये जा रहे हमलों के खि़लाफ़ दुनियाभर के मज़दूरों ने विशाल रैलियां आयोजित कीं। इस साल मई दिवस पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में दुनिया के कई देशों में लाखों मज़दूरों ने भागीदारी की। कई देशों में रैलियों को रोकने और मज़दूरों को घरों में रोके रखने के प्रयास किये गये। लेकिन मज़दूरों को रोकने के लिये की गई तमाम कोशिशों के बावजूद, मज़दूर सड़कों पर उतरे और विरोध करने के अपने अधिकार की रक्षा की।

दक्षिण कोरिया

दक्षिण कोरिया के विभिन्न शहरों में हुई रैलियों में लगभग एक लाख लोगों ने हिस्सा लिया।  मई दिवस पर विशाल रैलियों का आयोजन किया गया और 1 मई से काफी पहले ही इनकी तैयारी शुरू कर दी गई थी। दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में हुई दो बड़ी रैलियों में लगभग 30,000 लोगों ने भाग लिया। हड़ताली मज़दूरों ने बढ़ती महंगाई को ख़त्म करने और काम करने की बेहतर स्थिति की मांग की। रैली में शामिल एक राजनीतिक कार्यकर्ता ने कहा, “हमारे वेतन को छोड़कर हर चीज की क़ीमत बढ़ गई है। हमारी न्यूनतम मज़दूरी बढ़ाओ! हमारे काम के घंटे कम करो!”

जापान

जापान की राजधानी टोक्यो के योयोगी पार्क में हजारों की संख्या में मज़दूर और नौजवान इकट्ठा हुए। मज़दूरों ने महंगाई के कारण बढ़ते आर्थिक बोझ की भरपाई के लिए अपने वेतन में बढ़ोतरी की मांग की है। वे अभी भी महामारी के वित्तीय दबावों से जूझ रहे थे। सैन्य विस्तार में प्रमुखता से किये जा रहे निवेश के बदले में, लगाये गये टैक्स की वजह से लोगों पर आर्थिक बोझ को बढ़ाने के लिए मज़दूरों ने सरकार की आलोचना की।

इंडोनेशिया

तक़रीबन 50,000 मज़दूरों ने इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में मई दिवस के जुलूस में भाग लिया। यह जुलूस कंफडरेशन ऑफ इंडोनेशियन ट्रेड यूनियन्स द्वारा आयोजित किया गया था, जो मज़दूरों की 32 यूनियनों का प्रतिनिधित्व करता है। मज़दूरों ने हाल ही में सरकार द्वारा प्रस्तावित किये गये रोज़गार सृजन क़ानून को निरस्त करने की मांग की है, जो मज़दूरों और पर्यावरण की क़ीमत पर केवल व्यवसायों को ही लाभ पहुंचायेगा। उन्होंने मानव तस्करी और नौकरी की आउटसोर्सिंग को रोकने के लिए पर्याप्त क़दम नहीं उठाने पर सरकार की आलोचना की। उन्होंने सरकार से मांग की है कि विदेशों में काम कर रहे इंडोनेशियाई मज़दूरों के अधिकारों की रक्षा की जाये। जकार्ता के अलावा, बांडुंग, योग्याकार्ता, सुरबाया और इंडोनेशिया के कई अन्य शहरों में रैलियों का आयोजन किया गया।

ताइवान

रोज़मर्रा के इस्तेमाल की चीज़ों की बढ़ती क़ीमतों का सामना करने के लिए, बेहतर मज़दूरी की मांग को लेकर राजधानी ताइपे शहर के केटागलन बुलेवार्ड में हजारों मज़दूर एकजुट हुए। कई अलग-अलग संगठनों के मज़दूर और कार्यकर्ता अपने अधिकारों की मांगों को लेकर एकजुट हुये, इस रैली में बहुत सारे चिकित्साकर्मी भी शामिल हुए।

लेबनान

लेबनान के बेरूत शहर में, सैकड़ों मज़दूरों और ट्रेड यूनियनों के कार्यकर्ताओं ने मई दिवस पर रैलियों का आयोजन किया। इन रैलियों में प्रवासी मज़दूरों ने भी बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। महंगाई के लगातार बढ़ते बोझ से निपटने के लिए उन्होंने सरकार से मुआवजे़ की मांग की। लेबनान में बढ़ते आर्थिक संकट ने तीन चौथाई आबादी को ग़रीबी में धकेल दिया है। मज़दूर अपने वेतन में वृद्धि की मांग को लेकर पिछले एक साल से संघर्ष कर रहे हैं।

फ्रांस

फ्रांस में पेंशन सुधारों के ज़रिये सेवानिवृत्ति की आयु को 62 वर्ष से बढ़ाकर 64 वर्ष कर दिया गया है। फ्रांस के विभिन्न हिस्सों में इन सुधारों के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए गए, जिनमें हजारों मज़दूर सड़कों पर उतरे। अनुमान लगाया जा रहा है कि पूरे देश में 300 से अधिक हड़तालें हुई हैं, जिनमें लगभग 1.3 लाख लोगों ने भाग लिया है।

स्पेन

स्पेन में हजारों मज़दूरों ने मई दिवस की रैलियों में भाग लिया और बढ़ती महंगाई के अनुसार अपने औसत वेतन में वृद्धि की मांग की। देश के अलग-अलग हिस्सों में क़रीब 70 विरोध प्रदर्शन हुए। यूरोपीय संघ के मज़दूरों के औसत वेतन की तुलना में स्पेन में मज़दूरी सबसे कम है। रोज़मर्रा के इस्तेमाल की चीज़ों की बढ़ती क़ीमतों की वजह से लोगों को अपने जीवन-यापन का प्रबंधन करना बहुत कठिन हो गया है। मज़दूरों ने मांग की है कि “महंगाई को नियंत्रित करने के लिए क़दम उठाओ और मज़दूरों के सभी तबकों के वेतनों में वृद्धि करो”।

पाकिस्तान

मई दिवस पर सुरक्षा कारणों का बहाना देते हुये, पाकिस्तान में सभी रैलियों पर रोक लगा दी गई थी। मज़दूरों को मई दिवस पर किसी भी तरह का कार्यक्रम आयोजित करने से रोकने की तमाम कोशिशों के बावजूद मज़दूरों ने बड़ी-बड़ी हाल मीटिंगें आयोजित कीं। उन्होंने मज़दूरों की वर्तमान स्थिति और देश की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की। इन मीटिंगों में मज़दूरों के विभिन्न संगठनों और ट्रेड यूनियनों के मज़दूरों तथा कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया।

जर्मनी

1 मई को जर्मन ट्रेड यूनियन कॉन्फेडरेशन (डी.जी.बी) द्वारा एक विशाल रैली का आयोजन किया गया, जो जर्मनी के कोब्लेंज में आठ ट्रेड यूनियनों के लगभग छह लाख सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाला एकजुट संगठन है। रैली में हवाई, रेल और सड़क परिवहन क्षेत्र, सार्वजनिक सेवाओं, स्वास्थ्य सेवा और नगरपालिका सफ़ाई सेवाओं के मज़दूरों ने हिस्सा लिया। इस साल की शुरुआत से ही जर्मनी के मज़दूर वेतन और काम की परिस्थितियों को लेकर कई हड़तालों में भाग लेते आ रहे हैं। पिछले एक साल में हुये बड़े विरोध प्रदर्शनों में लोक सेवा मज़दूर सामने आए हैं। जर्मनी के विभिन्न हिस्सों में लगभग 398 कार्यक्रम आयोजित किए गए, अनुमान लगया जा रहा है कि उन कार्यक्रमों में 3 लाख लोगों ने भाग लिया।

इटली

इटली के कई शहरों में मई दिवस के अवसर पर प्रदर्शन हुए। वेतन में वृद्धि और देश की कर नीतियों में सुधार की मांग को लेकर मज़दूरों ने रोम शहर में हुये विरोध प्रदर्शनों में सक्रियता से भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को ख़त्म करने के नारे भी लगाए।

नीदरलैंड

अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस पर रोज़मर्रा के इस्तेमाल की चीज़ों की बढ़ती क़ीमत की भरपाई के लिए वेतन को बढ़ाने की मांग को लेकर पूरे नीदरलैंड में विरोध प्रदर्शन हुए। सरकार द्वारा साल की शुरुआत में मज़दूरों को 3-7 प्रतिशत की वेतन वृद्धि और अगले वर्ष के लिये 5 प्रतिशत की वृद्धि की पेशकश की गई थी। लेकिन मज़दूरों ने उस प्रस्तावित वेतन वृद्धि को अस्वीकार कर दिया, क्योंकि उससे बढ़ती महंगाई की भरपाई नहीं होगी और इसलिए उनके वास्तविक वेतन में भी कोई वृद्धि नहीं होगी।

श्रीलंका

श्रीलंका इस समय सबसे ख़राब आर्थिक संकट से गुज़र रहा है। सरकारी मालिकी वाले सभी क्षेत्रों का निजीकरण करने के लिए सरकार तेज़ी से आगे बढ़ रही है। मज़दूर काफी समय से इसका विरोध कर रहे हैं। श्रीलंका की सरकार ने इस साल की शुरुआत में एक नए मितव्ययिता अभियान की घोषणा की थी, जिसके तहत कोई सरकारी भर्ती नहीं होगी। अर्थव्यवस्था को उबारने की शर्तों के रूप में आई.एम.एफ. के नुस्खे के अनुसार, सरकार द्वारा करों को बढ़ाने, 1.5 लाख सरकारी नौकरियों में कटौती करने और राज्य की मालिकी वाले सभी उद्यमों का निजीकरण करने की नीतियों के विरोध में मई दिवस पर सैकड़ों मज़दूर एकजुट हुए। उन्होंने आर्थिक सुधारों का विरोध किया, जिनकी वजह से लोगों पर आर्थिक संकट का बोझ बढ़ेगा।

तुर्किये

तुर्किये में हजारों मज़दूरों ने मई दिवस पर प्रदर्शन किये। कई रैलियों में सैकड़ों नौजवानों ने भी हिस्सा लिया। ऐतिहासिक मई दिवस चौक, तकसीम में प्रदर्शन आयोजित करने की कोशिश कर रहे मज़दूरों पर पुलिस ने हमला किया और उन्हें रोकने की कोशिश की। लेकिन मज़दूरों को विरोध करने से रोकने की तमाम कोशिशों के बावजूद हजारों लोग इस्तांबुल के माल्टेपे स्क्वायर पर इकट्ठे हो गए। अंकारा, इजमिर, बुर्सा, दियारबकीर, कोन्या, कासेरी, आर्टविन, सैमसन, यालोवा, जोंगुलदक और इस्कीसिर सहित पूरे तुर्किये में मई दिवस पर बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों का आयोजन किया गया। तुर्किये के अदाना में लेबर ट्रेड यूनियन कंफेडरेशन द्वारा आयोजित रैली में लगभग 6,000 मज़दूरों ने हिस्सा लिया।

इंग्लैंड

लंदन में मई दिवस की जुझारू रैली में दस हजार से अधिक मज़दूरों ने हिस्सा लिया। इंग्लैंड में हजारों नर्सों ने रविवार रात 8 बजे से 1 मई की आधी रात तक 28 घंटे की हड़ताल अयोजित की। हड़ताल में भाग लेने वाली नर्सें इंग्लैंड के लगभग आधे अस्पतालों, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य सामुदायिक सेवाओं में काम करने वालों में से थीं। हड़ताली नर्सें काम की बेहतर परिस्थितियों और बेहतर रोज़गार की मांग कर रही थीं। इंग्लैंड में यह पहली बार है जब राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एन.एच.एस) की 125 ट्रस्टों की नर्सें अपनी मांगों की आवाज़ बुलंद करने के लिए बाहर आयी हैं।

 

Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments