एनपीएस के खिलाफ और ओपीएस की बहाली के लिए हमारी लड़ाई में हमें निश्चित रूप से सफलता मिलेगी

दक्षिण मध्य रेलवे मजदूर यूनियन (एससीआरएमयू) के महासचिव और ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन (एआईआरएफ) के कोषाध्यक्ष डॉ. सीएच शंकर राव का संदेश

 

व्यावसायिक साम्राज्य वाले बहु-करोड़पति कर्मचारियों और श्रमिकों द्वारा उनकी कड़ी मेहनत से अर्जित धन का आनंद ले रहे हैं।

मुनाफा बनाने वाले श्रमिकों के लिए कम वेतन के अलावा कोई हिस्सा नहीं (हमारे देश के कई राज्यों में कोई न्यूनतम मजदूरी कार्यान्वयन नहीं)।

निजीकरण और आउटसोर्सिंग सरकार की नीति है।

सार्वजनिक क्षेत्र, सरकारी जमीन और अन्य परिसंपत्तियों को बेचना ही आज की मुद्रीकरण नीति है।

यह सरकार द्वारा हमारे देश के आम आदमी, कर्मचारियों और श्रमिकों के लिएदिया गया न्याय है! करों का भुगतान मध्यम वर्ग, गरीबों द्वारा किया जाता है और सरकारों द्वारा अमीरों को मुफ्त सुविधाएं दी जाती हैं।

सरकार अधिक मुनाफा कमाने के लिए अमीरों को कम कर, बैंकों द्वारा कम ब्याज पर ऋण, मुफ्त जमीन या रियायती दरों पर जमीन, मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी के माध्यम से सब्सिडी दे रही है और हम पर अधिक से अधिक कर लगा रही है।

हमारे देश में सरकार के लिए यह एक नियमित मामला बन गया है।

एनपीएस के माध्यम से कर्मचारियों और श्रमिकों द्वारा भुगतान किया गया पैसा बड़े उद्योगपतियों को अपना व्यवसाय चलाने के लिए दिया रहा है।

निर्वाचित विधायकों को पेंशन, लेकिन कर्मचारियों को पेंशन की कोई गारंटी नहीं।

ये हमारे प्रतिनिधि विधायकों और सांसदों द्वारा बनाए गए कानून हैं।

जब पेंशन विधायकों और सांसदों का अधिकार है तो गारंटीड पेंशन हमारा अधिकार क्यों नहीं?

जोर से बोलो पेंशन हमारा अधिकार है!

एनपीएस मुर्दाबाद!

ओपीएस हमारा अधिकार है!

जान लें कि हमारी लड़ाई निश्चित रूप से पेंशन के रूप में अंतिम वेतन का 50% जीतने के लिए है।

डॉ सीएच शंकर राव
जीएस
एससीआरएमयू एवं कोषाध्यक्ष एआईआरएफ

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