सभी राज्यों और सभी हितधारकों के विचार सुने बिना विद्युत अधिनियम 2022 को संसद में पेश नहीं किया जाना चाहिए – एनसीसीओईईई

ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज (एआईएफईई) के राष्ट्रीय सचिव, कॉमरेड कृष्णा भोयर द्वारा एनसीसीओईईई बैठक की रिपोर्ट

12.07.2023 को नेशनल कोआर्डिनेशन कमिटी एम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) की बैठक का कार्यवृत्त

नेशनल कोआर्डिनेशन कमिटी एम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स की ऑनलाइन बैठक हाल ही में 12.07.2023 को आयोजित की गई। इस बैठक में बताया गया कि बिजली अधिनियम 2022 को केंद्र सरकार द्वारा संसद के मानसून सत्र में पेश किये जाने की संभावना है। फिलहाल विद्युत अधिनियम 2022 लोकसभा की स्थायी समिति के समक्ष है। केरल और पश्चिम बंगाल की राज्य सरकारों ने समिति के सामने अपना पक्ष रखा है। कई अन्य राज्यों ने अपना पक्ष नहीं रखा है। एनसीसीओईईई की स्थिति यह है कि बिजली अधिनियम 2022 को सभी राज्यों और सभी हितधारकों के विचारों को सुने बिना चर्चा के लिए संसद में पेश नहीं किया जाना चाहिए।

विद्युत अधिनियम 2022 पारित होने से पहले देश के विभिन्न राज्यों में वितरण, ट्रांसमिशन में कई सब-स्टेशन और लाइनें अडानी और अन्य निजी पूंजीपतियों को बेच दी गई हैं। कानून पारित नहीं हो पाने के कारण केंद्र सरकार विभिन्न माध्यमों से राज्य की बिजली कंपनियों का निजीकरण कर रही है। इसको लेकर चिंता व्यक्त की गयी।

उत्तर प्रदेश में बिजली कंपनियों के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारी और इंजीनियर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये। धरने के बाद हुई वार्ता में उत्तर प्रदेश के माननीय ऊर्जा मंत्री ने लिखित आश्वासन दिया था कि निलंबित कर्मचारियों एवं अभियंताओं के विरुद्ध की गयी कार्यवाही वापस ले ली जायेगी। लेकिन वह वादा पूरा नहीं हुआ और आज भी उत्तर प्रदेश में 1084 कर्मचारियों पर कानूनी कार्रवाई चल रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट में दलील दी है कि हड़ताल से उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियों को 3222 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। तर्क के मुताबिक कर्मचारी जिम्मेदार हैं। कोर्ट में उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी अभियंता संघर्ष समिति ने कड़ा विरोध किया है और तर्क दिया की नुकसान सरकार और प्रबंधन के वजह से हुआ है।

संघर्ष समिति ने यह भी स्पष्ट किया है कि कर्मचारी यूनियनों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि यूनियनों ने श्रम अधिनियम के अनुसार नोटिस दिया है। इसलिए वहां के कर्मचारियों की मदद के लिए एनसीसीओईईई अगस्त 2023 में लखनऊ में एक बैठक करेगा और उस बैठक में एनसीसीओईई के सभी राष्ट्रीय नेता मौजूद रहेंगे।

उत्तर प्रदेश में सरकार कर्मचारियों के संघर्ष को न्यायालय के माध्यम से दबाने का प्रयास कर रही है। उन्हें देश भर के कर्मचारियों द्वारा समर्थन की आवश्यकता है। अगर उत्तर प्रदेश में यह सफल हो गया तो केंद्र सरकार पूरे देश में इसका निजीकरण करने की कोशिश करेगी।

इस समय देशभर में बड़े पैमाने पर प्रीपेड मीटर और स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं और मीटर लगाने के लिए केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्यों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की है। स्पष्ट है कि इन मीटरों को लगाने के पीछे केंद्र सरकार का उद्देश्य भविष्य में विभिन्न वितरण कंपनियों में निजी पूंजीपतियों को समानांतर बिजली वितरण का लाइसेंस देना है।

27 जुलाई 2023 को दिल्ली में एनसीसीओईई की आपात बैठक बुलाई गई है और इस बैठक में आगे के आंदोलन की दिशा तय की जाएगी। आज की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि केंद्र सरकार को संसद के वर्तमान सत्र के दौरान किसी भी परिस्थिति में संशोधित विद्युत अधिनियम 2022 बिल को संसद में पेश नहीं करने के लिए विरोध पत्र दिया जाएगा।

संगठन की ओर से सभी राजनीतिक दलों को इस कानून के देश में बिजली उपभोक्ताओं और किसानों पर पड़ने वाले दूरगामी प्रभावों के बारे में विस्तृत बयान दिया जाएगा।

आज की बैठक में कॉमरेड मोहन शर्माजी के निर्देशानुसार, कॉम. समीउल्लाह, उप महासचिव (कर्नाटक) और कॉमरेड कृष्णा भोयर राष्ट्रीय सचिव (महाराष्ट्र) ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज (एआईएफईई) की ओर से उपस्थित थे। बैठक का संचालन एनसीसीओईई के संयोजक कॉमरेड प्रशांत चौधरी ने किया। उक्त बैठक में 7 राष्ट्रीय स्तर के संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित थे।

आपका विश्वासी

कॉमरेड कृष्णा भोयर
राष्ट्रीय सचिव

ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज (एआईएफईई)

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