कामगार एकता कमिटी के संवाददाता की रिपोर्ट
21 जुलाई 2023 के दिन, महाराष्ट्र के भिवंडी शहर में हजारों नागरिकों ने, “टोरेंट अत्याचार विरोधी जन संघर्ष समिती” के झंडे तले एकजूट होकर, “टोरेंट हटाव भिवंडी बचाव” के नारे को बुलंद किया। धुवांधार बारिश की परवाह ना करते हुए ग्रामिण इलाके से, आदिवासी पाडों से, शहरी इलाके से हजारों लोग इस आक्रोश मोर्चा में शामिल हुए। मोर्चा में महिलाओं तथा युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। मनमानी बिजली रेट लगाकर ग्राहकों से पैसे वसुलना, पुलिस की मदतसे बिजली चोरी के झुठे केसेस करना और उससे दहशत फैलाना, बिना जाँच के तेज़ी से चलने वाले मिटर लगवाना, रिडींग नही लेते हुये दुगने रुपयों के बिल हाथ में थोपना, जबरन झूटे बिलों की वसुली करना, मिटरोंकी जाँच रिपोट नहीं देना, ग्राहकों से अपमान जनक और तानाशाही रवैया अपनाना आदि समस्याओं से परेशान नागरिकोंका गुस्सा मोर्चा में स्पष्ट दिखाई दे रहा था। बहुत सारे नेताओंने अपने टोरेंट विरोधी, गुस्से भरे तथा लोगों मे जोश भरने वाले भाषण किये। इसमें बहुत सारे महिला वक्ताओं का भी सहभाग था।
2007 से टोरेंट कंपनी को भिवंडी में बिजली वितरण का कार्यभार महाराष्ट्र राज्य सरकार ने सौंपा था। उस समय भी कई लोगों ने सरकार के उस निर्णय का जोरदार विरोध किया था। सरकार ने उस निर्णय के समर्थन में कहा था कि, इस तरह के निजीकरण से भिवंडी की आम जनता को बिजली की सुविधा बेहतर तौर से मुहैया होगी। मगर असलियत में तो भिवंडी के नागरिकों की परेशानी कई गुना बढ़ गई। इससे पहले भी भिवंडी के नागरिकों ने कई बार टोरेंट के खिलाफ आवाज उठाई है, मगर इस बार प्रतिकार बेहद ज्यादा तीखा हुआ है । अलग अलग राजनितिक पार्टियों के भिवंडी स्थित नुमाइंदो ने नागरिकों की इस परेशानी को नजरंदाज किया है । उनके इस रवैए से भी सभी भिवंडी निवासी बेहद खफ़ा है ।
यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि कैसे सत्ता में आनेवाली हर सरकार ने लोक और मज़दूर विरोधी तथा पूंजीपतियों के हित में निजीकरण का हमेशा से समर्थन किया है | हर सरकार ने अलग अलग तरीकों से निजी खिलाडियों को बिजली के क्षेत्र में पहले घुसाया और फिर लोगों के खून पसीने से बनी बिजली व्यवस्था को निजी पूंजीपतियों को सौंपना चालू किया |
कई वक्ताओं ने ऐसा ऐलान किया है की यदि 2024 के चुनाव के पहले टोरेंट का अत्याचार बंद नही होता और भिवंडी से टोरेंट हटाया नही जाता है तो इससे भी ज्यादा संख्या मे आंदोलन किया जायेगा और किसी भी आमदार, खासदार, नगरसेवक आदि को शहर में आने नहीं दिया जायेगा।
महाराष्ट्र के मुख्य शहरों में बिजली वितरण निजी मालिकों की कंपनियों को सौपने की महाराष्ट्र सरकार की योजना को जो विरोध बिजली कर्मचारी तथा उपभोक्ता कर रहे है, उसे टोरेंट के खिलाफ इस तीखे आंदोलन से निश्चय ही शक्ति मिलेगी ।
इस आंदोलन के समर्थन में कामगार एकता कमिटी, महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन, सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन्स, ऑल इंडिया ट्रेड युनियन काँग्रेस तथा ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन सेंटर आदि संगठनों ने समर्थन दिया । इन संगठनों का संयुक्त पत्रक हजारों की संख्या में वितरित किया गया ।
Bhiwandi anti torrent handbill