मजदूर वर्ग के अंतर्गत कौन हैं?

श्री गिरीश, संयुक्त सचिव, कामगार एकता कमिटी (KEC) द्वारा प्राप्त लेख

आज टीवी चैनल, वर्त्तमान पत्रों जैसे मिडिया से हमें यही बताया जा रहा है कि सिर्फ जिसमें अत्यधिक शारीरिक श्रम की आवश्यकता है उन्हीं क्षेत्रों में काम करने वाले लोग मजदूर होते हैं। मीडिया से यह समझ भी फैलाई जा रही है कि आज हमारा समाज उच्च, मध्यम या कनिष्ट वर्ग में विभाजित है। कौन कितना कमाता है या उसके पास कितनी दौलत है इस आधार पर व्यक्ति को उच्च, मध्यम या कनिष्ट वर्ग में शामिल किया जाता है। पूंजीपतियों की मीडिया से यही प्रचार होता है कि आज के समाज में अत्यल्प लोग उच्च वर्ग के हैं, अल्पसंख्यक कनिष्ट वर्ग के हैं और लगभग सभी मध्यम वर्ग से हैं।

कार्ल मार्क्स के प्रख्यात दस्तावेज कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो में साफ़ साफ़ प्रस्थापित किया है कि हमारा पूंजीवादी समाज जिस दिशा में आगे बढ़ रहा है उस दिशा में समाज में दो भेद ज्यादा से ज्यादा स्पष्ट होते जा रहे हैं। एक ओर बड़े बड़े पूंजीपति हैं जिनके पास उत्पादन के सभी साधन हैं और दूसरी ओर मजदूर वर्ग है जिसके पास उत्पादन के कोई साधन नहीं हैं, उन्हें अपनी श्रमशक्ति को बेचकर वेतन मिलता है।

समाज को सिर्फ कमाई या दौलत के आधार पर विभाजित करने से पूंजीपति वर्ग और मजदूर वर्ग के बीच का मूल अंतर्विरोध छुपाने में मदद मिलती है। एक ओर पूंजीपति मालिक अपने मुनाफे के दर को बढ़ाने के लिए मजदूरों को कम से कम वेतन देने की पुरजोर कोशिश करता है। वह मजदूरों को उतना ही वेतन देता है जिससे मजदूर अगले दिन फिर काम पर आ सके। मजदूर वर्ग का लक्ष्य है कि समाज में रहने वाले हरेक व्यक्ति की जिन्दगी में खुशहाली लाना, उनकी हर जरुरत को पूरा करने की ओर काम करना। पूंजीपति वर्ग और मजदूर वर्ग के लक्ष्य पूरी तरह से एक दूसरे के खिलाफ हैं। इन दो लक्ष्यों के बीच कभी समझौता हो ही नहीं सकता।

हम मजदूरों के वेतन में भले कितना भी अंतर हो हम सभी एक मजदूर वर्ग का हिस्सा हैं। जिसके पास कोई भी उत्पादन के साधन नहीं है और जिसे जिन्दा रहने के लिए अपने श्रमशक्ति को बेचकर वेतन पाना पड़ता है वह मजदूर है।

केवल फैक्ट्री और निर्माण क्षेत्र में काम करनेवाले ही नहीं बल्कि बड़े बड़े ऑफिस में काम करने वाले, रेल को चलानेवाले, बिजली क्षेत्र में काम करने वाले, बैंककर्मी, पटरियों की मरम्मत करनेवाले, विमान चलानेवाले, यातायात क्षेत्र में काम करने वाले, कंप्यूटर प्रोग्राम लिखनेवाले, आय टी क्षेत्र में काम करने वाले, गिग यानि डिलीवरी करनेवाले, ओला उबेर चलाने वाले सभी मजदूर वर्ग का हिस्सा हैं। भले इनमें से कोई हजारों में कमाता हो तो कोई लाखों में कमाता हो, अपनी श्रमशक्ति बेचनेवाला हर कोई मजदूर ही है। जो लोग आज बेरोजगार हैं वे भी मजदूर वर्ग में ही आते हैं क्योंकि आगे जाकर वे मजदूर वर्ग में ही शामिल होंगे। मजदूर वर्ग के परिवार में रहने वाले भी मजदूर वर्ग का ही हिस्सा हैं क्योंकि वे किसी का शोषण नहीं कर रहे हैं।

परन्तु, पूंजीपति वर्ग और मजदूर वर्ग के अलावा ऐसे भी लोग हैं जो अपने उत्पादन के साधनों पर काम करके पैसे कमाते हैं, जैसे कोई शिलाई मशीन पे काम करके पैसा कमाता हो, अपने कम्पुटर का उपयोग करके फ्रीलैंसिंग करता हो, या किसान अपने खेत में काम करता हो। इन सभी को पेटीबुर्जुआ या मध्यम पूंजीपति कहा जाता है। इनका भविष्य बेहद ढुलमुल होता है। भविष्य में इनमें से बहुत लोग मजदूर वर्ग में तब्दील हो जाते हैं।

आज की पूंजीवादी हालातों में किसान या अन्य मेहनतकशों का मजदूरों की तरह ही शोषण हो रहा है। इनके और हमारे लक्ष्य में ज्यादा अंतर नहीं है। आज लगातार बड़े बड़े पूंजीपतियों के देशी विदेशी कॉर्पोरेट घराने पूरे कृषि क्षेत्र पर हावी होने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं तथा सरकारें उन्ही के ताल पर नाचती रहती है, चाहे किसी भी पार्टी की क्यों न हो। इसलिए पूंजीपति वर्ग, हम सब का दुश्मन है।

हम मजदूरों की भलाई इसी में है कि इन शोषित किसानों और मेहनतकशों के साथ मित्रता बनाकर हमारे सांझे दुश्मन पूंजीपति वर्ग के खिलाफ लड़ाई करें। अपने लक्ष्य को पाने के लिए हम मजदूरों को सत्ता की बागडोर अपने हाथों में लेनी होगी।

एक और बात फैलाई जाती है कि समाज में पूंजीपति इसलिए ज़रूरी हैं क्योंकि वे रोजगार देते हैं। समाज में पूंजीपति वर्ग ही परजीवी है। सिर्फ पूंजी से कुछ नहीं होता। सोचिये अगर हमने एक बंद कमरे में पांच करोड़ रुपए रख दिए और उसको ऐसे ही पड़े रहने दिया तो उसमें एक रुपया भी नहीं बढेगा। जब इस पूंजी पर मानवी श्रम काम करता है तभी मूल्य पैदा होता है। वह मानवी श्रम ही है जो संपत्ति का निर्माण करता है।

जब कोई मजदूर पूंजीपति के यहाँ 8 घंटे काम करता है, तो उसमें से 2 या 4 घंटे में ही उसके वेतन का मूल्य का निर्माण करता है। बाकि घंटे के काम से जो अतिरिक्त मूल्य का निर्माण होता है वह सब पूंजीपति मालिक हथिया लेता है। आज पूंजीपति इसी पूंजी का इस्तेमाल करके हम मजदूरों का ज्यादा से ज्यादा शोषण कर रहे हैं।

मजदूर कौन है इस बारे में तरह तरह की गलतफहमियां फैला कर पूंजीपति वर्ग हमें एकजुट होने से रोकते हैं। ऐसा प्रचार मजदूर वर्ग का एक वर्ग बतौर आगे आके लड़ने की शक्ति को क्षति पहुंचाता है। इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि हम इस प्रचार का खंडन करें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को एक वर्ग बतौर इकठ्ठा करें।

हमें सभी भेदों को हटाकर पूंजीपति और मजदूर मेहनतकशों के बीच के भेद को सभी के सामने लाना होगा। हमें मजदूर वर्ग के संगठन बनाकर उन्हें मजबूत बनाना होगा। हमें ऐसे संगठन की जरुरत है जो मजदूर वर्ग के हित के लिए लड़ाई करें, ऐसे संगठन चाहिए जो मजदूर वर्ग को सत्ता में लाने की दिशा में अनथक संघर्षरत हो। हमारी एकजुटता ही हमें सत्ता की बागडोर संभालने में मदद कर सकती है।

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