मज़दूर एकता कमिटी के संवाददाता की रिपोर्ट
8 सितम्बर, 2023 को छत्तीसगढ़ राज्य के स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों ने हेल्थ फेडरेशन कर्मचारी संघ के झंडे तले, विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने राज्य के विभिन्न जिलों में आंदोलनरत कर्मचारियों के बर्ख़ास्त किये जाने का विरोध किया।
सरकारी स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार को 1 अगस्त को ज्ञापन दिया था और स्वास्थ्य मंत्री से मुलाक़ात की थी। इसके बाद उन्होंने 11 अगस्त को एक दिवसीय आंदोलन किया था। सरकार ने उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब अपने वादों से पीछे हट रही है।
समाचार सूत्रों के अनुसार, छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले हज़ारों कर्मचारी हेल्थ फेडरेशन कर्मचारी संघ की अगुवाई में 21 अगस्त, 2023 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इस फेडरेशन में राज्य के स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले 12 संगठन शामिल हैं। इसमें राज्य के 5,200 उप-स्वास्थ्य केंद्र, 600 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 150 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 33 जिला अस्पताल और सभी मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। इनमें काम करने वाले लगभग 40 हज़ार कर्मचारी हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य के स्वास्थ्य संस्थानों के डाक्टरों और नर्सों सहित सभी स्वास्थ्य कर्मी काफी लंबे समय से संघर्ष की राह पर हैं। वे अपने वेतन की विसंगतियों को दूर करने, समय पर वेतन दिए जाने, कोरोना भत्ता दिए जाने, स्वास्थ्य कर्मियों पर हिंसक घटनाओं को रोकने, साप्ताहिक अवकाश व सेवा लाभ, आदि जैसी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।
हड़ताल की वजह से ग्रामीण और शहरी इलाकों के स्वास्थ्य केन्द्रों में कई स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। लेकिन आंदोलित स्वास्थ्य कर्मियों की जायज़ मांगों को मानने तथा जनहित में स्वास्थ्य सेवाओं को जल्द से जल्द बहाल करने के बजाय, सरकार ने 2 सितम्बर से हड़ताली कर्मचारियों को एस्मा (आवश्यक सेवा क़ानून) के तहत बर्ख़ास्त करना शुरू कर दिया है। अब तक बर्ख़ास्त किये गए कर्मचारियों की संख्या 4,500 तक पहुंच चुकी है, जिनमें नियमित चिकित्सक, स्टाफ नर्स, संविदा और अनियमित स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य के सभी जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर चल रहे धरनों में स्वास्थ्यकर्मी इस का जमकर विरोध कर रहे हैं। सरकार की मज़दूर-विरोधी कार्यवाही की घोर निंदा की जा रही है।