रेल चालकों का द्विवार्षिक अधिवेशन: रेल दुर्घटनाओं पर गोष्ठी

मज़दूर एकता कमेटी (एमईसी) के संवाददाता की रिपोर्ट

27 सितंबर, 2023 को आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसियेशन (ए.आई.एल.आर.एस.ए.) के मुरादाबाद मंडल का द्विवार्षिक अधिवेशन आयोजित किया गया। रेलगाड़ियों के पटरियों से उतर जाने की बढ़ती दुर्घटनाओं और लाल सिग्नल को पास कर जाना (एस.पी.ए.डी.-स्पैड) को केंन्द्र में रखते हुये ए.आई.एल.आर.एस.ए. ने इस अधिवेशन का विषय रखा था – ‘सेफ्टी सेमीनार ऑन मिशन शून्य स्पैड एवं द्विवर्षीय मंडल कान्फ्रेस’।

इस अधिवेशन में मुरादाबाद मंडल की सभी लाबियों से आये रेल चालकों सहित, मुरादाबाद की स्थानीय लाबी के रेल चालकों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। अलग-अलग लाबियों से आये हुये प्रतिनिधियों से पूरा हाल भरा हुआ था।

अधिवेशन को दो सत्रों में आयोजित किया गया था, पहला सत्र ‘सेफ्टी सेमीनार’ था। दूसरा सत्र ए.आई.एल.आर.एस.ए. के मुरादाबाद मंडल के द्विवार्षिक अधिवेशन और मंडल कमेटी के गठन पर केन्द्रित था।

अधिवेशन में ए.आई.एल.आर.एस.ए. की केद्रीय कार्यकारिणी की ओर से महासचिव के.सी. जेम्स को मुख्य अतिथि बतौर और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामसरन, पदम गंगवार आदि, को मुख्य वक्ता बतौर आमंत्रित किया गया था। अधिवेशन में आल इंडिया गार्ड्स काउंसिल तथा एन.आर.एम.यू. के प्रतिनिधियों को भी अपने विचार रखने के लिये आमंत्रित किया गया था।

अधिवेशन के पहले सत्र में भारतीय रेल में हो रही दुर्घटनाओं को कैसे बिल्कुल ख़त्म किया जाये और लाल सिग्नल को पास कर जाने की समस्याओं को समाप्त करने के लिये क्या-क्या क़दम उठाये जायें, इस पर गहन चर्चा की गई।

इस सत्र के लिये रेलवे के कई वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाया गया था, ताकि रेल चालकों के सामने आने वाली समस्याओं को उनके सामने उठाया जा सके तथा अधिकारी भी दुर्घटनाओं के कारणों और समस्याओं के निराकरण पर अपने विचार प्रकट करें और रेल चालकों की समस्याओं के समाधान के लिये अपने विचार दें।

विदित रहे कि रेलवे में हो रही दुर्घटनों में मुख्य रूप से वे घटनायें हैं, जिनमें गाड़ियां पटरियों से उतर जाती हैं या गाड़ियों में टक्कर हो जाती है, इस तरह की घटनाओं में बहुत से लोगों की मौत हो जाती है और अनेकों घायल हो जाते हैं। इसके साथ-साथ भारतीय रेल की करोड़ों की संपत्ति को नुक़सान होता है, जो जनता के पैसे को लगाकर बनाई जाती है। ऐसी दुर्घटनायें हो जाने के बाद भारतीय रेल कई बार इन दुर्घटनों के लिये रेल चालकों या गार्डां, सिग्नलिंग विभाग या दूसरे अन्य कर्मचारियों को दोषी ठहराकर पल्ला झाड़ लेता है।

जबकि इन दुर्घटनाओं के होने की मूल समस्याओं के प्रमुख कारण हैं – भारतीय रेल में लगभग 3,12,000 पदों का खाली होना, सिग्नलिंग सिस्टम की खामियां, पटरियों के रखरखाव में कमी। ध्यान रहे कि पटरियों का रखरखाव करने वालों के काम की स्थितियां इतनी असुरक्षित होती हैं कि आये दिन 2-3 लोग काम करते समय मर जाते हैं! और ठेके पर नियुक्त किये गये अप्रशिक्षित मज़दूरों को ऐसे कामों में लगाया जाता है, जिसके लिये नियमित मज़दूरों को महीनों के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसके साथ-साथ आउट सोर्सिंग के ज़रिये ख़रीदे गये ख़राब पुर्जे भी एक कारण हैं।

वक्ताओं ने बताया कि आधिकारिक तौर पर प्रतिदिन 9 घंटे काम करना होता है। लेकिन, बड़ी संख्या में खाली पड़े पदों के कारण, उन्हें दिन में 14-16 घंटे भी बिना आराम किये काम करना पड़ता है। रेल चालकों को लगातार रात की ड्यूटी करनी पड़ती है। अक्सर छुट्टी नहीं मिलती है और यहां तक कि पर्याप्त साप्ताहिक आराम भी नहीं दिया जाता है।

प्रतिदिन 9 घंटे की समय सीमा के साथ-साथ, अधिवेशन में रेल चालकों की प्रमुख मांगों को उठाया गया, जिन पर आगे संघर्ष को जारी रखने का संकल्प लिया गया। इनमें शामिल हैं – पुरानी पेंशन योजना की बहाली; अगली ड्यूटी शुरू होने से पहले मुख्यालय एवं आउट स्टेशन पर पर्याप्त विश्राम; शंटिंग सुपरवाइज़र के बिना कोई भी शंटिंग कार्य को रोकना; असिस्टेंट लोको पायलट (ए.एल.पी.) को रिस्क एलाउंस; मंडल की सभी लॉबियों में मूलभूत सुविधायें, शुद्ध पानी एवं स्वच्छ टॉयलेट की सुविधा उपलब्ध हो; और महिला रनिंग स्टाफ के लिए महिला टॉयलेट उपलब्ध कराया जाए, आदि।

दूसरे सत्र में ए.आई.एल.आर.एस. के सदस्यों और पदाधिकरियों ने अपनी संगठनात्मक समस्याओं और उपलब्धियों पर विचार-विमर्श किया। गहन चर्चा और सलाह-मशवरा करने के बाद, शाम 4 बजे मुरादाबाद डिविज़न की नई कमेटी का गठन हुआ, जिसमें अध्यक्ष, सचिव और अन्य पदाधिकारियों का चुनाव हुआ। बहुत ही जोशपूर्ण और सकारात्मक वातावरण में अधिवेशन का समापन हुआ।

 

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