नई शिक्षा नीति को रद्द करने की मांग उठी

मजदूर एकता कमेटी (एमईसी) के संवाददाता का रिपोर्ट

सरकार शिक्षा का तेजी से निजीकरण करती जा रही है। शिक्षा के निजीकरण के कारण देश की अधिकतम आबादी के बच्चे उच्च शिक्षा से वंचित होने की कगार पर पहुंच जायेंगे।


8 अक्तूबर, 2023 को दिल्ली में छात्रों और नौजवनों ने नई शिक्षा नीति को रद्द किए जाने तथा सभी के लिए स्थायी और सम्मानजनक रोज़गार सुनिश्चित किए जाने की मांग को लेकर एक सम्मेलन आयोजित किया। इसमें देश के विभिन्न राज्यों से छात्र व नौजवान शामिल हुए।

सम्मेलन स्थल पर छात्र व नौजवान अपने हाथों में प्लाकार्ड ले रखे थे, जिन पर लिखा था – ‘शिक्षा हमारा बुनियादी अधिकार है!’, ‘हर हाथ को काम दो!’, ‘सुनिश्चित रोज़गार हमारा बुनियादी अधिकार है!’, ‘शिक्षा का निजीकरण बंद करो!’, ‘स्थाई व सम्मानजनक रोज़गार दो!’, ‘पाठ्यक्रम में अवैज्ञानिक बदलाव बंद करो!’, ‘जाति, धर्म और लिंग पर आधारित भेदभाव खत्म करो!’, ‘छात्र-विरोधी नई शिक्षा नीति को रद्द करो!’, आदि।

सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि सरकार शिक्षा का तेजी से निजीकरण करती जा रही है। शिक्षा के निजीकरण के कारण देश की अधिकतम आबादी के बच्चे उच्च शिक्षा से वंचित होने की कगार पर पहुंच जायेंगे।

सम्मेलन में नई शिक्षा नीति-2020 को रद्द करने और सभी के लिए स्थायी और सम्मानजनक रोज़गार सुनिश्चित करने के लिए आंदोलन को और तेज करने का संकल्प लिया गया।

सम्मेलन का आयोजन कलेक्टिव, परिवर्तनकामी छात्र संगठन सहित 12 छात्र व नौजवानों संगठनों ने संयुक्त रूप से आयोजित किया।

 

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