इंजीनियर्स संकल्प दिवस (अभियंता संकल्प दिवस) 29 नवंबर, 1979 – उत्तर प्रदेश के बिजली इंजीनियरों की वीरता और साहस का दिन

श्री शैलेन्द्र दुबे, अध्यक्ष, ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन द्वारा


जस्टिस बी.बी.मिश्रा की रिपोर्ट को लागू कराने के लिए शांतिपूर्ण एवं लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष कर रहे यूपी के बिजली अभियंताओं के आंदोलन को दबाने के लिए तत्कालीन यूपी सरकार ने बिजली क्षेत्र में हड़ताल सहित सभी प्रकार के आंदोलनों, प्रदर्शनों, सत्याग्रह आदि पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। बिजली इंजीनियरों की गिरफ्तारी के लिए अध्यादेश के जरिए एमआईएसए (आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम) लगाया गया, जिसे अब एनएसए कहा जाता है।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड इंजीनियर्स एसोसिएशन ने साहसपूर्वक इस अलोकतांत्रिक कदम पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया की घोषणा की और तत्कालीन महासचिव ने आह्वान किया कि अगर एक भी बिजली इंजीनियर की गिरफ्तारी हुई तो तुरंत सामूहिक जेल भरो आंदोलन शुरू किया जाए।

28-29 नवंबर की रात पनकी में दो अधीक्षण अभियंता और लखनऊ में चार अभियंता गिरफ्तार किये गये। इस पर कड़ी प्रतिक्रिया हुई। 29 नवंबर को सुबह 10 बजे 500 से अधिक इंजीनियर हाइडिल फील्ड हॉस्टल, लखनऊ के प्रांगण में एकत्र हुए, जिनमें बड़ी संख्या में अधीक्षण अभियंता भी शामिल थे। फील्ड हॉस्टल को पुलिस और पीएसी ने घेर लिया। बिजली इंजीनियरों ने सामूहिक गिरफ्तारी के लिए जैसे ही हजरतगंज कोतवाली कूच किया, फील्ड हॉस्टल में ही गिरफ्तारियां शुरू हो गईं। पहले ही दिन इतनी गिरफ्तारियां हुईं कि पीएसी की गाड़ियां कम पड़ गईं।

इसके बाद फील्ड हॉस्टल हर दिन इंजीनियर्स एसोसिएशन जिंदाबाद और भारत माता की जय के नारों से गूंजता रहा और गिरफ्तारियों और सेवा से बर्खास्तगी का दौर चलता रहा। एक प्रमुख अखबार ने लिखा कि जिस बेखौफ तरीके से बिजली इंजीनियर सामूहिक गिरफ्तारियां कर रहे हैं, उसी का नतीजा है कि उत्तर प्रदेश सरकार के मीसा अध्यादेश के चिथड़े हजरतगंज कोतवाली के नाले में बहते देखे जा सकते हैं।

1600 से अधिक इंजीनियरों ने स्वेच्छा से सामूहिक गिरफ़्तारियाँ दीं, जिनमें 85 अधीक्षण अभियंता और एक मुख्य अभियंता शामिल थे। आख़िरकार सरकार को झुकना पड़ा। सभी इंजीनियरों को बिना शर्त रिहा कर दिया गया और सभी को बहाल कर दिया गया। इस प्रकार उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ समयबद्ध वेतनमान प्राप्त करने में देश का अग्रणी संगठन बन गया।

आइए आज हम सब यूपीएसईबी इंजीनियर्स एसोसिएशन के साहसी एवं गौरवशाली इतिहास को याद करें और संकल्प लें कि हम विद्युत क्षेत्र एवं विद्युत अभियंताओं के हितों के लिए कोई भी बलिदान देने के लिए सदैव तत्पर रहेंगे।

इंजीनियर्स एसोसिएशन जिंदाबाद!

इंकलाब जिंदाबाद!

भारत माता की जय!

शैलेन्द्र दुबे

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