देशभर के मज़दूरों और किसानों ने तीन-दिवसीय महापड़ाव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया

मज़दूर एकता कमेटी संवाददाता की रिपोर्ट

27 नवम्बर को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन

26 से 28 नवंबर के दौरान हुए तीन-दिवसीय महापड़ाव में देशभर के मज़दूरों और किसानों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

महापड़ाव का आह्वान 24 अगस्त, 2023 को नई दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चे के बैनर तले आयोजित केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों के एक संयुक्त सम्मेलन में किया गया था। इस सम्मेलन में मज़दूरों और किसानों की मांगों का एक सांझा चार्टर अपनाया गया था और इस चार्टर को मज़दूरों और किसानों के जनसमूह के बीच लोकप्रिय बनाने और इन मांगों के लिए आंदोलन करने की कार्ययोजना की भी घोषणा की गयी थी।

देश के अलग-अलग राज्यों की राजधानियों में राज्यपाल के कार्यालयों के बाहर मज़दूरों और किसानों ने पूरे दिन की सभाएं आयोजित कीं।

नई दिल्ली में, 26 नवंबर और 27 नवंबर को उपराज्यपाल के कार्यालय के सामने सैकड़ों मज़दूरों और किसानों ने दिनभर के विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।

वक्ताओं ने मज़दूरों, किसानों और व्यापक मेहनतकश लोगों की आजीविका और अधिकारों पर हो रहे हमलों की निंदा की। उन्होंने रेलवे, बंदरगाहों व गोदियों, बिजली, हवाई अड्डों, राजमार्गों, बैंकिंग,

आयुध कारखानों, आदि के निजीकरण की मज़दूर-विरोधी और समाज-विरोधी कार्यक्रमों की निंदा की।

उन्होंने सांझी मांगों के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प व्यक्त किया। इनमें चार मज़दूर-विरोधी श्रम संहिताओं को निरस्त करना, सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा, बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 को वापस लेना, श्रम के ठेकादारीकरण को समाप्त करना और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण को रोकना शामिल है। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार लाभकारी मूल्य पर सभी कृषि उपज की राज्य द्वारा गारंटीकृत ख़रीद सुनिश्चित करे।

ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों ने भी मांग की है कि गिग मज़दूरों, आशा और आंगनवाड़ी मज़दूरों और अन्य योजना मज़दूरों को मज़दूर के रूप में मान्यता दी जाए।

सीटू, एटक, मज़दूर एकता कमेटी, ए.आई.यू.टी.यू.सी., एच.एम.एस., टी.यू.सी.सी., सेवा, इंटक, एल.पी.एफ., यू.टी.यू.सी., अखिल भारतीय किसान सभा, भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) और अन्य संगठनों के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में हुए महापड़ाव में उत्साह के साथ भाग लिया।

26 नवम्बर को चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन

चंडीगढ़ के दो स्थानों पर किसान और मज़दूर संगठनों ने बड़े पैमाने पर महापड़ावों का आयोजन किया। पंजाब और हरियाणा से आए हज़ारों किसानों व मज़दूरों ने चंडीगढ़ से सटी मोहाली सीमा पर अपनी ट्रोलियों के साथ डेरा लगाया। हरियाणा के किसान और मज़दूर चंडीगढ़ से सटी पंचकुला सीमा पर एकत्र हुए।

लखनऊ में हज़ारों मज़दूरों और किसानों ने बढ़-चढ़ कर तीन-दिवसीय महापड़ाव में हिस्सा लिया।

चेन्नई में महापड़ाव विरोध प्रदर्शन

26 और 27 नवंबर को तमिलनाडु के चेन्नई में एग्मोर – राजरत्नम स्टेडियम में मज़दूरों और किसानों का सामूहिक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। राज्य के विभिन्न जिलों के किसानों तथा विनिर्माण उद्योग से जुड़े मज़दूर, ऑटोमोबाइल उद्योग के मज़दूर, रेलवे मज़दूर, बैंकिंग और बीमा क्षेत्र के मज़दूर, रक्षा कर्मचारी, मेट्रो परिवहन मज़दूर, बिजली उत्पादन और वितरण के मज़दूर, आई.टी. और आई.टी.ई.एस. कर्मचारी, असंगठित मज़दूर, विभिन्न क्षेत्रों की महिला मज़दूर, कृषि मज़दूर, आदि ने बड़ी संख्या में भाग लिया। कई ट्रेड यूनियनों, महासंघों और किसान संगठनों के नेताओं ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया और प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया। मज़दूर एकता कमेटी ने इस जन-विरोध में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

केरल में, बिहार की राजधानी पटना में और गुवाहाटी समेत असम के पांच शहरों में बड़ी विरोध रैलियां आयोजित की गयीं।

28 नवंबर को किसान व मज़दूर संगठनों ने कोलकता में एक बड़ी रैली की। उसी दिन मुंबई व पुद्दुचेरी में रैलियां आयोजित की गयीं।

कोलकता में महापड़ाव विरोध प्रदर्शन

मुंबई में महापड़ाव विरोध प्रदर्शन

हिन्दोस्तान के विभिन्न शहरों में हुये महापड़ाव के दृश्य नीचे छाप रहे हैं

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