बैंक प्रबंधन यूनियन के इस अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता कि वह तय करे कि उसके पदाधिकारी कौन होने चाहिए

आल इंडिया बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र एम्प्लाइज फेडरेशन की प्रेस विज्ञप्ति


आल इंडिया बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र एम्प्लाइज फेडरेशन

(ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन से संबद्ध)
C-3, N-1, टाउन सेंटर, सिडको, औरंगाबाद -431005
ई-मेल: aibomef2014@gmail.com फोन: 0240-6645637 www.aibomef.com

दिनांक: 20 अगस्त, 2024

प्रेस विज्ञप्ति:

प्रबंधन यूनियन के प्रतिनिधित्व के अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता,

उच्च न्यायालय बॉम्बे का महत्वपूर्ण निर्णय।

बैंक ऑफ महाराष्ट्र प्रबंधन ने 2019 में बोर्ड द्वारा अनुमोदित औद्योगिक संबंध नीति पेश की और उक्त नीति के खंड 6(D) के अनुसार बैंक की सेवाओं से सेवानिवृत्त निर्वाचित पदाधिकारियों को प्रतिबंधित कर दिया, जो इंडियन ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 के प्रावधानों के विपरीत है।

बैंक प्रबंधन द्वारा असहमति की आवाज को दबाने का यह जानबूझकर किया गया प्रयास था और इस प्रकार यूनियन ने 2021 में मुंबई उच्च न्यायालय औरंगाबाद खंडपीठ में उक्त प्रावधान को चुनौती दी। कोरोना के कारण सुनवाई में देरी हुई।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद माननीय उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति श्री रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति श्री Y.G. खोबरागड़े की खंडपीठ ने 2 अगस्त 2024 को अपना फैसला दे दिया है। इस संबंध में यूनियन की दलीलों और इंडियन ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 के प्रावधानों को स्वीकार करते हुए उक्त नीति के विवादास्पद प्रावधान को रद्द करने का निर्णय दिया है।
यूनियन का प्रतिनिधित्व एडवोकेट उदय बोपशेट्टी ने किया, जबकि प्रबंधन का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ सरकारी एडवोकेट सुधीर तलसानिया और एडवोकेट अजय देशपांडे ने किया।

अब इस महत्वपूर्ण निर्णय के साथ ही बैंकों से सेवानिवृत्त हो चुके निर्वाचित पदाधिकारियों के लिए बातचीत के दरवाजे खुलने की उम्मीद है। यह निर्णय कानून के प्रावधानों से संबंधित है और इसकी व्याख्या का प्रभाव पूरे ट्रेड यूनियन आंदोलन पर पड़ने की संभावना है।
याचिकाकर्ता यूनियन के महासचिव कॉमरेड देवीदास तुलजापुरकर ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि इस निर्णय ने प्रबंधन के साथ बातचीत में अपने प्रतिनिधि चुनने के सदस्यों के लोकतांत्रिक अधिकार को बरकरार रखा है।

महासचिव

 

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