राजस्थान के बिजली-कर्मियों का निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

राजस्थान में बिजली के निजीकरण पर रोक लगाने की मांग को लेकर बिजली-कर्मी सड़कों पर हैं। 25 नवंबर, 2024 को बिजली-कर्मियों ने राज्यभर में सहायक अभियंता कार्यालयों पर काम का बहिष्कार करके धरना दिया। बिजली-कर्मियों ने उपखंड अधिकारी व सहायक अभियंताओं को मांगों का ज्ञापन सौंपा। इस संघर्ष की अगुवाई राजस्थान विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति कर रही है। बिजली-कर्मियों की मांग है कि विभाग का निजीकरण रोका जाए, ओपीएस लागू किया जाए, ठेका प्रथा को बंद किया जाए व नए कर्मचारियों की भर्ती की जाए, आदि।

विदित रहे कि 22 नवम्बर, 2024 को जयपुर स्थित ऊर्जा भवन में राजस्थान विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति की बैठक हुई। बैठक में बिजली विभाग के कई कर्मचारी संगठन शामिल हुए। उस बैठक में बिजली के निजीकरण के विरुद्ध व कर्मचारियों के हित में संघर्ष पर उतरने का बुलावा दिया गया था।

धरने में शामिल बिजली-कर्मियों ने बताया कि तीनों बिजली डिस्कॉम (उत्पादन, प्रसारण और वितरण कंपनियां) में वर्तमान में ज्यादातर काम ठेके पर निजी कंपनियों से कराए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि निजीकरण के कारण कृषि कनेक्शनों में देरी हो रही है, जिसका ख़ामियाज़ा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

राजस्थान विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति का कहना है कि आने वाले 29 नवंबर को राज्य के बिजली विभाग के कर्मचारी कलेक्ट्रेट पर धरना देकर मुख्यमंत्री व ऊर्जा मंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेंगे।

समिति का कहना है कि बिजली के उत्पादन, प्रसारण और वितरण में निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार अलग-अलग मॉडल और प्रक्रिया अपना रही है। निजीकरण से न केवल राज्य के आर्थिक हितों को नुकसान हो रहा है, बल्कि आम जनता, किसानों और मज़दूरों के हित भी प्रभावित हो रहे हैं। सरकार लाभ में चल रहे ग्रिडों को ठेके पर देकर निजी भागीदारी बढ़ा रही है, जिसका हम विरोध कर रहे हैं। इससे सरकारी प्रसारण निगम का घाटा और बढ़ेगा। समिति ने कहा कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा।

 

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