उप्र और चंडीगढ़ में निजीकरण के विरोध में देश भर मे बिजली कर्मचारियों ने “निजीकरण विरोधी दिवस” मनाकर विरोध दर्ज किया

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन की प्रेस विज्ञप्ति

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन

प्रेस विज्ञप्ति 13 दिसंबर 2024

उप्र और चंडीगढ़ में निजीकरण के विरोध में देश भर मे बिजली कर्मचारियों ने “निजीकरण विरोधी दिवस” मनाकर विरोध दर्ज किया;

उप्र में बिडिंग प्रक्रिया शुरू होते ही राष्ट्रव्यापी विरोध होगा;

प्रबन्धन कर्मचारियों को गुमराह न करे;

बिडिंग के पहले आर एफ पी डॉक्यूमेंट जारी करे तो निजीकरण के घोटाले का हो जाएगा खुलासा।

नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स (NCCOEEE) के आह्वान पर देश भर में समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने आज निजीकरण विरोधी दिवस मनाया और समस्त जनपदों, परियोजनाओं में सभा की।

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमेन शैलेन्द्र दुबे और सेक्रेटरी जनरल पी रत्नाकर राव ने उप्र पावर कार्पोरेशन प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि प्रबंधन कर्मचारियों को गुमराह कर रहा है और भय का वातावरण बनाकर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बना रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि प्रबंधन बिडिंग प्रक्रिया शुरू करने के पहले आर एफ पी डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट जारी करे तो निजीकरण के खतरों का अपने आप खुलासा हो जाएगा।

आज उप्र और चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी “निजीकरण विरोधी दिवस” मनाया गया और देशभर में समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध सभाएं की गई। बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति (एनसीसीओ ई ई ई) ने चेतावनी दी है कि उप्र में निजीकरण के बिडिंग डॉक्यूमेंट जारी होते ही देश भर में लाखों बिजली कर्मी सड़क पर उतरने को विवश होंगे।

उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ का बिजली विभाग निजी कंपनी को सौंपने की कोई भी कोशिश की गई तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी और देशभर में बिजली कर्मी सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने निजीकरण को बड़ा घोटाला बताते हुए कहा कि अरबों खरबों रुपए की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल बेचने की साजिश सफल नहीं होने दी जाएगी। चंडीगढ़ की बिजली की 22,000 करोड़ रु की परिसंपत्तियों को निजी कंपनी को मात्र 871 करोड़ रु में दिया जा रहा है।

उप्र और चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के विरोध में मुम्बई, कोलकाता,चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद, त्रिवेंद्रम, विजयवाड़ा, गुवाहाटी, नागपुर, रायपुर, जबलपुर, भोपाल, शिमला, जम्मू, श्रीनगर, देहरादून, चंडीगढ़, पटियाला, रांची, आदि स्थानों पर बड़े प्रदर्शन हुए। उप्र की राजधानी लखनऊ सहित समस्त जनपदों एवं परियोजनाओं पर विरोध सभाएं की गई।

शैलेन्द्र दुबे ने आज यहां जारी बयान में कहा कि उप्र के बिजली कर्मचारी और अभियंता बिजली व्यवस्था के सुधार में लगातार लगे हुए हैं और 15 दिसंबर से शुरू होने वाली ओ टी एस स्कीम को सफल बनाने में लगे हैं किंतु पता नहीं क्यों पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने अचानक प्रदेश के 42 जनपदों में बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा कर बिजली कर्मियों को उद्वेलित कर दिया है और अनावश्यक रूप से ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बना दिया है।

उन्होंने कहा कि आगरा के निजीकरण के पहले जारी किए गए आर एफ पी डॉक्यूमेंट में ए टी एंड सी हानियां बहुत अधिक बढ़ाकर बताई गई थी जो फर्जी थी। इसी गलत डॉक्यूमेंट के चलते पॉवर कारपोरेशन को टोरेंट को बिजली देने मे ही 2,434 करोड़ रु की चपत अब तक लग चुकी है। इस बार भी परिसंपत्तियों का मूल्यांकन किए बिना पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों की अरबों खरबों रुपए की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल बेचने की साजिश है। बिडिंग के पहले यदि आर एफ पी डॉक्यूमेंट जारी किया जाए तो पूरा घोटाला सामने आ जाएगा।

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की अरबों रुपए की बेशक कीमती जमीन किस आधार पर मात्र एक रुपए में निजी घरानों को सौंप दी जाएंगी। यह जनता की परिसंपत्ति है। इन सब बातों से बिजली कर्मचारी और उपभोक्ता बहुत अधिक परेशान और उद्वेलित है।

शैलेन्द्र दुबे
चेयरमैन

वाराणसी

पटियाला

लखनऊ

देहरादून

 

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