लोको पायलट रेल यात्रियों की सुरक्षा के लिए यदि रेल भी रोकनी पड़े तो उसे रोकेंगे जिससे दुर्घटना न हो

AILRSA के राष्ट्रीय सहायक महासचिव कॉम. पिंटू रॉय की रिपोर्ट


पुणे मंडल में भारतीय रेल के लोको पायलटों के संगठन ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टॉफ असोसिएशन (AILRSA) ने सभी लोको पायलटों के साथ 36 घंटे तक भूखे रहकर ट्रेन का संचालन किया और विरोध प्रदर्शन करते हुए रेल प्रशासन को संकेत दिया कि उनके मांग को नजरअंदाज न करें। यदि जल्द ही उनके मांग पर विचार नहीं किया गया तो संगठन को ट्रेन रोकने के आंदोलन पर विचार करना पड़ेगा।

इस संबंध में हमारी बातचीत पुणे मंडल के लोको पायलट एवं संगठन ने कई दफा सभी अधिकारियों को पत्र लिखा और लगातार आंदोलन भी कर रहे हैं। रेलवे का लोको पायलट्स पर सौतेला व्यवहार हो रहा है।

1. रेलवे में सभी विभाग और क्लर्क के कार्य के घंटे 08 घंटे निर्धारित हैं। लेकिन रेलवे के लोको पायलट के ड्यूटी इतने कठिन और बड़ी जिम्मेदारी वाली होने के बावजूद इन लोगों को 12 से 14 घंटे तक लगातार कार्य करना पड़ रहा है। जबकि HIGH POWER COMMITTEE के द्वारा सेफ्टी दृष्टि से 2016 में लोको पायलट की ड्यूटी को 08 घंटे करने की रिकमेंडेशन किया गया था। लेकिन अभी तक इसे अमल में नहीं लाया गया है। अभी भी लोको पायलट 08 घंटे की मांग कर रहे हैं।

2. लोको पायलट को साप्ताहिक विश्राम के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। उनका कहना है उन्हें 365 दिन कार्य करना पड़ता है। जिससे उनके पारिवारिक और सामाजिक जीवन से वंचित रहना पड़ता है। जहां अन्य कैडर को ये साप्ताहिक विश्राम 48 से 64 घंटे तक मिल रहे हैं जबकि लोको पायलट को साप्ताहिक विश्राम के नाम पर 14 घंटे मात्र दिए जाते हैं जो कि रेलवे के सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। इस मामले में माननीय HIGH COURT का निर्णय भी दिया गया है कि लोको पायलट 46 घंटे का साप्ताहिक विश्राम लेने के लिए एलिजिबल है। इसके बावजूद भी HC के निर्णय को रेलवे नहीं मान रहा है।

3. लोको पायलट से लगातार 4 – 5 रात तक कार्य करवाया जाता है जबकि रेलवे की सुरक्षा को ध्यान रखते हुए हाई पावर कमीटी ने लोको पायलट से 2 रात्रि ड्यूटी तक सीमित करने का निर्देश दिया था।

4. लोको पायलट को 72 घंटे यानी कि 3 से 4 दिन तक अपने घर से बाहर रहता है जिससे वह पारिवारिक और सामाजिक लाइफ से वंचित हो जाता है, इसलिए 2010 और 2016 में रेलवे ने स्वीकार भी किया और निर्देश भी दिया कि रनिंग स्टॉफ को 36 घंटे तक मुख्यालय वापस लाया जाएगा। लेकिन, इसे जमीनी स्तर पर लागू नहीं किया गया है।

5. देश के सभी विभाग के केंद्रीय कर्मचारी का DA 50% होने पर TA में 25% की वृद्धि हुई, लेकिन रनिंग स्टॉफ को TA के रूप में मिल रहे माइलेज दर में बढ़ोतरी नहीं हुई।
उपर्युक्त सभी मांग नियम संगत है। यदि कोई लोको पायलट निर्धारित 9 घंटे ड्यूटी करने के बाद सुरक्षित ट्रेन संचालन करने में असमर्थता दिखाता है तो पुणे मंडल के अधिकारी द्वारा उसे नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है, महीनों तक सस्पेंड किया जाता है और कई को काम पर महीनों तक न लेकर उनका आर्थिक नुकसान किया जाता है। इस तरह लोको पायलट पूरे तनाव के साथ ट्रेनों को चलाता है और असुरक्षित संचालन करने के लिए मजबूर रहता है।

उपर्युक्त सभी मांगों को लेकर लोको पायलट संगठन AILRSA ने 36 घंटे तक भूखे रहकर ट्रेन चलाया और अपने परिवार बच्चों के साथ भूखे धरना स्थल पर घर को छोड़कर बैठे रहे। लेकिन बड़े शर्म की बात है कि प्रशासन के कोई भी अधिकारी या सुपरवाइजर्स लोको पायलट से बात करने नहीं आया, उनके दुःख को सुनने नहीं आया। 6 लोको पायलट और कुछ परिवार भूखे रहने के कारण बीमार होकर अभी भी रेलवे अस्पताल में भर्ती हैं लेकिन किसी अधिकारी को उसके स्वास्थ की चिंता तक नहीं है ।

अब लोको पायलटों का कहना है कि यदि हम रेल यात्रियों को सुरक्षा नहीं दे सकते तो आगे होने वाली दुर्घटना को रोकने के लिए यदि रेल भी रोकनी पड़े तो हम रोकेंगे।

 

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