श्री जे. एन. शाह, केंद्रीय उपाध्यक्ष, आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (AILRSA) से प्राप्त रिपोर्ट
रेलवे में निजीकरण, निगमीकरण, यूनाइटेड पेंशन योजना के खिलाफ, किलोमीटर भत्ते की दर में टीए में हुई वृद्धि के अनुपात में इजाफा करने, ड्यूटी आवर्स मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में अधिकतम छह घंटों और माल गाड़ियों में अधिकतम आठ घंटे करने, सहायक लोको पायलट को भी रिस्क allowance दिए जाने, छत्तीस घंटों में हेड क्वार्टर्स वापस लौटाने, खाली पदों को शीघ्र भरने, महिला रनिंग स्टाफ को ड्यूटी पर उचित व्यवस्था किए जाने और उनके अन्य मांगों के समर्थन के संबंध में रेल प्रशासन द्वारा काफी हिला हवाली करने के विरोध में आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन पूर्वोत्तर रेलवे के आह्वान पर देश भर में लॉबीयों पर धरना और हंगर फास्ट 20, 21 फरवरी को हुआ। समस्त लोको पायलटों द्वारा भूखे रहकर ट्रेनों का संचालन किया गया और डीआरएम के मार्फत रेलवे बोर्ड को 18 सूत्री ज्ञापन सौंपा गया।
इस फास्ट को संपूर्ण रेलवे कर्मियों समेत, विद्युत विभाग यूनियन “आल इंडिया पावर एम्पलाइज फेडरेशन”, दिशा छात्र संघटन, बैंक एम्पलाइज फेडरेशन, खेत मजदूर यूनियन का भी भरपूर सहयोग और समर्थन मिला।
मांगे माने जाने तक आगे भी यह संघर्ष जारी रहेगा। भूखे पेट रहकर ट्रेनों का संचालन करने के कारण कई लोको पायलटों के तबियत खराब होने की सूचना मिली।
दो दिनों के इस आंदोलन में शाम को मजदूर वर्गीय विचारधारा पर आधारित बातचीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुआ जिसका भरपूर आनन्द उपस्थित साथियों ने लिया। बातचीत में रेलवे के अंदर कार्यरत यूनियनों समेत अन्य संस्थाओं में यूनियनों की स्थिति पर गंभीर वैचारिकी हुई जिसमें बातचीत का मुख्य एजेंडा यही रहा कि आज रेलवे के अंदर लगातार हो रहे निजीकरण, ठेकाकरण, भ्रष्टाचार, फिजूलखर्ची, मनमानी, भ्रामक न्यू पेंशन योजना के खिलाफ कोई मजबूत निर्णायक आंदोलन क्यों नहीं खड़ा हो पा रहा है। AILRSA जैसे कैटिगरिकल एसोसिएशन के साथी तो अपनी मांगों को लेकर धरना, प्रदर्शन, छत्तीस से अड़तालिस घंटे के हंगर फास्ट पर चले भी जा रहे हैं, पर रेलवे के अन्य यूनियनों में इतनी भी संवेदनशीलता या साहस अपने हकों अधिकारों को लेकर क्यों नहीं बची है। अपनी ताकत और वर्गीय चेतना की कमी के इस जमीनी सच्चाई से क्यों वर्किंग क्लास मुंह मोड़ रहा है? क्या नेतृत्व का चेतना विहीन होना, वर्गीय प्रतिबद्धता विहीन होना और परिणामस्वरूप समूचे संगठन में निराशा का संचार होना इसका कारण हैं? आखिर लगातार बढ़ रहे काम के घंटों, मल्टीस्किलिंग, लंबी दूरी की लिंक, चार रात्रि ड्यूटी जैसे संरक्षा सुरक्षा के मुद्दों, 72 घंटों का आउट स्टेशन आदि पर क्यों नहीं कोई आंदोलन खड़ा हो पा रहा है? इन गंभीर समस्याओं की जड़ों और मूल वजहों पर आज का युवा एम्पलाई क्या सोचता है?
परिचर्चा में भाग लिए साथियों द्वारा जो विचार आए, उसमें यही बात मूल रूप से परिलक्षित हुई कि वर्किंग क्लास की वैचारिकी और उसके प्रति आज का युवा रेल एम्पलाई काफी कैजुअल और चलताऊ एप्रोच रख रहा है। अपने ऐतिहासिक संघर्ष की शानदार विरासत के द्वारा हासिल अधिकार और अपने वर्तमान व भविष्य के कार्यभार पर वह तकनीकी रूप से बिल्कुल ही सचेत नहीं है। कई साथियों ने इसपर आश्चर्य भी जताया कि क्या यह आज की परिस्थिति में यह संभव होगा, क्योंकि आज की भौतिक परिस्थितियां काफी बदल गईं हैं।
इसपर बातचीत परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए अगुआ साथियों द्वारा बतलाया गया कि हमारे ऐतिहासिक संघर्ष और तकनीकी विकास से हमारे विरोधी वर्ग ने ही काफी अच्छा सबक लिया और अपने कार्यक्रम में काफी तब्दीली की, उसके कारण हम संगठित क्षेत्र के मजदूरों ने अपनी उपलब्धि पर इतराकर, पूंजी द्वारा फेंके गए पाश में फंसकर, अपना ऐतिहासिक कार्यभार भूलकर, व्यक्तिवादी चरित्र अख्तियार कर लिया है। समाज में व्याप्त जातिगत, मज़हबी, ऊंच नीच, अमीरी गरीबी की कड़वी समस्याओं से निपटने और उसके खात्मे की योजना बनाने की जगह मजदूर वर्ग वेतन, भत्ते के जाल में उलझ गया और आज इसी का फायदा उठाकर मालिक वर्ग सचेत रूप से दुबारा उन तमाम अधिकारों को काट रहा है जिनके लिए इतिहास में हमारे साथियों की शहादत है।
कुछ सामान्य पृष्ठभूमि के साथियों द्वारा आगे के भविष्य के प्रति गंभीर आशंका जताते हुए चीजों को समझने सहेजने हेतु पठन पाठन, वर्कशॉप आयोजन की जरूरत जताई गई जिसपर अगुआ साथियों ने सहमति जताते हुए कार्ययोजना बनाकर अमल करने का आश्वाशन दिया।
कार्यक्रम में AILRSA सहित 46 संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से स्मार्ट मीटर के विरोध में प्रकाशित पुस्तिका का भी वितरण किया गया।
इस प्रकार दो दिनों का आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन पूर्वोत्तर रेलवे का यह हंगर फास्ट काफी सफल रहा।
परिचर्चा में AILRSA NER के क्षेत्रीय अध्यक्ष जे एन शाह, शहीद भगत सिंह डॉ आंबेडकर मंच के साथी मनोज, सचिव ब्रजेश कुमार, संयुक्त सचिव इंद्रजीत, क्षेत्रीय संयुक्त सचिव शिव पूजन वर्मा, विवेक शुक्ला, अनिल कुमार, राजकुमार राय, सुजीत कुमार आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।