बिजली के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मी 26 जून को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे

नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉईज एंड इंजीनियर्स (NCCOEEE) की प्रेस विज्ञप्ति

नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉईज एंड इंजीनियर्स (NCCOEEE)
Press Note, 23 February,2025

बिजली के निजीकरण के विरोध में 26 जून को राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा;
हड़ताल सफल बनाने हेतु देश भर में सम्मेलन होंगे;

उप्र में बिजली के निजीकरण के विरोध में मार्च में चार बड़ी रैलियाँ आयोजित की जायेंगी

नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉईज एंड इंजीनियर्स (NCCOEEE) ने बिजली के निजीकरण के विरोध में आगामी 26 जून को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। NCCOEEE ने निर्णय लिया है कि राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बनाने के लिए अप्रैल और मई के माह में देश के सभी प्रांतों में बड़े सम्मेलन किए जाएंगे। इसके पूर्व उत्तर प्रदेश में चल रही निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में NCCOEEE के राष्ट्रीय पदाधिकारी चार रैलियां करेंगे। कॉर्डिनेशन कमेटी ने यह निर्णय भी लिया कि 26 जून को हड़ताल पर जाने से पहले आल इंडिया ट्रेड यूनियनों की मई में होने वाली हड़ताल के दिन भी देश के बिजली कर्मी हड़ताल करेंगे।

NCCOEEE के नागपुर में हुए राष्ट्रीय सम्मेलन को आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे, सेक्रेटरी जनरल पी. रत्नाकर राव, आल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज के मोहन शर्मा व कृष्णा भोयर, एस.मुर्ती, इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रशान्त चौधरी व सुभाष लांबा, ऑल इंडिया पावर मेन्स फेडरेशन के समर सिन्हा, भारतीय किसान मोर्चा के बीजू कृष्णा, कामगार एकता कमेटी के गिरीश भावे ने मुख्यतः संबोधित किया।

NCCOEEE के राष्ट्रीय सम्मेलन में देश के विभिन्न प्रांतों के बिजली कर्मचारियों के श्रम यूनियनों और सेवा संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी सम्मिलित हुए। उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के महासचिव जितेन्द्र सिंह गुर्जर और उप्र बिजली कर्मचारी संघ के प्रमुख महासचिव महेन्द्र राय ने उप्र में चल रही निजीकरण की प्रक्रिया और बिजली कर्मियों के आन्दोलन की जानकारी दी।

NCCOEEE की आमसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि मुनाफे में चल रहे चंडीगढ़ के बिजली विभाग का जिस तरह निजीकरण किया गया वह बेहद आपत्तिजनक है। उप्र में सरकार के अनुसार एक लाख पन्द्रह हजार करोड रुपए का बिजली राजस्व का बकाया है और एक लाख दस हजार करोड रुपए का घाटा है। इस प्रकार स्पष्ट है कि राजस्व वसूल लिया जाए तो उप्र के विद्युत वितरण निगम मुनाफे में हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि टैरिफ बेस्ड प्रतिस्पर्धात्मक बिडिंग और असेट मोनीटाईजेशन के नाम पर ट्रांसमिशन सेक्टर का बड़े पैमाने पर निजीकरण किया जा रहा। जेनरेशन के क्षेत्र में निजीकरण का खामियाजा बेहद महंगी बिजली के रूप में आम उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि निजीकरण कर्मचारियों के हित में तो है ही नहीं, साथ ही बिजली उपभोक्ताओं के लिए सबसे अधिक घातक है। निजी क्षेत्र में मुंबई में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 17-18 रुपए प्रति यूनिट तक बिजली का टैरिफ है। निजी क्षेत्र में किसानों को सब्सिडी नहीं मिलती है। निजीकरण न रोका गया तो महंगी बिजली आम उपभोक्ताओं की कमर तोड़ देगी।

आम सभा में पारित प्रस्ताव में केन्द्र और राज्य सरकारों से मांग की गई है कि बिजली का निजीकरण तत्काल वापस लिया जाए अन्यथा बिजली कर्मी पूरी एकजुटता के साथ राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने हेतु विवश होंगे।

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