उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति (UPVKSS) की रिपोर्ट
निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों ने निकाली तिरंगा रैली:
विधान सभा में विजन – 2047 में बिजली व्यवस्था में सुधार की चर्चा के बाद निजीकरण का अध्याय तुरंत बन्द करने की मांग
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने कहा है कि उप्र विधान सभा में रखे गये विकसित भारत-विकसित उत्तर प्रदेश विजन-2047 में बिजली व्यवस्था में लगातार हो रहे सुधार की विस्तृत चर्चा की गयी है ऐसे में जब सार्वजनिक क्षेत्र में उप्र में बिजली व्यवस्था में लगातार सुधार हो रहा है तब पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए।
काकोरी क्रांति के 100 वर्ष पूरे होने पर 08 अगस्त से प्रारम्भ कर तिरंगा सभा अभियान के समापन पर आज बिजली कर्मियों ने प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर तिरंगा रैली निकाल कर निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग की। राजधानी लखनऊ में बिजली कर्मी राणा प्रताप मार्ग स्थित हाईडिल फील्ड हॉस्टल पर एकत्र होकर हाथ में तिरंगा लिये हुए जीपीओ पार्क स्थित काकोरी क्रांति स्मारक तक रैली के रूप में गये।
संघर्ष समिति के केन्द्रीय पदाधिकारियो ने बताया कि अवैध ढंग से नियुक्त झूठा शपथ पत्र देने वाले ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन की मदद से पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन आशीष गोयल और निदेशक वित्त निधि नारंग द्वारा तैयार कराये गये निजीकरण के दस्तावेज के अनुसार निजीकरण के बाद भी प्रदेश सरकार को निजी कम्पनियों को सस्ती दर पर बिजली मुहैया करानी पड़ेगी जिसका भार सरकार उठायेगी। इसके अतिरिक्त सरकार को वित्तीय मदद भी करनी पड़ेगी। यह सब भार उप्र सरकार उठायेगी। सवाल यह है कि निजीकरण के ऐसे प्रयोग से उप्र को क्या मिलने वाला है?
संघर्ष समिति ने कहा कि उल्लेखनीय है कि निजीकरण के पीछे मुख्य कारण घाटा बताया जा रहा है जो पूरी तरह गलत है और पॉवर कारपोरेशन झूठे आकड़ों के आधार पर घाटा बता रहा है। इसके अतिरिक्त किसानों, बुनकरों आदि को मिलने वाली सब्सिडी और सरकारी विभागों के राजस्व बकाये को भी पॉवर कारपोरेशन घाटे में जोड़कर दिखा रहा है।
संघर्ष समिति के केन्द्रीय पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली कर्मियों का मुख्य उद्देश्य हर घर हर गांव तक सस्ती बिजली पहुंचाना है। बिजली कर्मी सीमित संसाधनों के बावजूद उत्तर प्रदेश के 3 करोड़ 63 लाख उपभोक्ताओं तक निर्बाध बिजली आपूर्ति का कार्य कर रहे हैं। विगत 08 वर्षों में एटी एण्ड सी हानियां 42 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत पर आ गयी हैं जो राष्ट्रीय मापदण्ड है। एटी एण्ड सी हानियों में चालू वित्तीय वर्ष में और कमी आने की सम्भावना है। ऐसे में राष्ट्रीय मानक के अनुसार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण करने का कोई औचित्य नहीं है।
संघर्ष समिति के आह्वान पर आज प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर बिजली कर्मी तिरंगा लेकर निजीकरण के विरोध में निकले। बिजली कर्मियों के हाथ में तख्तियां थीं जिनपर लिखा था कि निजीकरण का निर्णय निरस्त करो, विकसित भारत के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में पॉवर सेक्टर बनाये रखना जरूरी है।