श्री पिंटू रॉय (केंद्रीय सहायक महासचिव, AILRSA) से प्राप्त पत्र
कार्य के घंटे और आराम की अवधि नियम, 2005 (HOER) मानदंडों के कार्यान्वयन के लिए ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (AILRSA) द्वारा शुरू किए गए अखिल भारतीय आंदोलन के एक हिस्से के रूप में, पुणे डिवीजन के लोको रनिंग स्टाफ ने 19 अगस्त 2025 को पुणे के मिरज, दौंड और घोरपडी लॉबी में प्रदर्शन किया। यह आंदोलन भारतीय रेलवे प्रशासन द्वारा निलंबन और पूछताछ जैसी दबाव रणनीति के बावजूद किया जा रहा है।
नीचे हम भारत के प्रधानमंत्री को लिखा एक पत्र प्रस्तुत कर रहे हैं, जिस विषय पर 9 घंटे की ड्यूटी की माँग को लेकर एक ट्विटर अभियान चलाया जा रहा है। यह पत्र, जो वायरल हो गया है, श्री मनीष मिश्रा (AILRSA, पुणे संभाग के कार्यकारी अध्यक्ष) द्वारा लिखा गया है और श्री पिंटू रॉय (केंद्रीय सहायक महासचिव, AILRSA) द्वारा हमारे साथ साझा किया गया है।
नमस्कार,
माननीय प्रधानमंत्री एवं माननीय रेल मंत्री, सभी आदरणीय मंत्रीगण, सांसद एवं विधायक महोदय, माननीय प्रशासनिक अधिकारीगण तथा मेरे सहयोगीजन,
मैं, भारतीय रेलवे में लोको पायलट एवं सहायक लोको पायलट के रूप में कार्यरत समस्त रनिंग स्टाफ कर्मचारियों की ओर से आपका ध्यान एक अत्यंत गंभीर एवं चिंताजनक विषय की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ।
हमारा दायित्व यात्री एवं मालगाड़ियों को सुरक्षित रूप से उनके गंतव्य तक पहुँचाना है। यात्री गाड़ियों को समयबद्ध और सुरक्षित संचालन हेतु सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है, जो नितांत आवश्यक भी है। किंतु एक ही ट्रैक पर यात्री एवं मालगाड़ियों का संचालन होने के कारण मालगाड़ियों को समय पर संचालित करना प्रायः कठिन हो जाता है।
रनिंग स्टाफ Continuous Category (लोको पायलट और सहायक लोको पायलट) के अंतर्गत आते हैं। इनके कार्य के घंटे भारत सरकार द्वारा नामित Regional Labour Commissioner (RLC) द्वारा निर्धारित हैं। HOER (Hours of Work and Period of Rest Rules, 2005) एवं रेलवे बोर्ड पत्र RBE No.131/2005 के अनुसार
- रनिंग स्टाफ के लिए एक सप्ताह में अधिकतम 54 घंटे का कार्य समय निर्धारित है।
- 2 सप्ताह (एक पीरियड) में कुल 104 घंटे तथा 12 दिनों में औसतन 108 घंटे, अर्थात् प्रतिदिन लगभग 9 घंटे ड्यूटी।
- इसके अतिरिक्त, प्रत्येक 14 दिन में 30 घंटे का 2 Periodical Rest (PR) देना अनिवार्य है।
किंतु व्यावहारिक स्थिति यह है कि जब कोई लोको पायलट निर्धारित 9 घंटे की ड्यूटी पूर्ण कर लेता है और रिलीफ क्रू की मांग करता है, तो उसे रिलीव करने के स्थान पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दबाव डालकर आगे कार्य जारी रखने हेतु बाध्य किया जाता है। सुरक्षा कारणों से इंकार करने पर कर्मचारियों को निलंबन, चार्जशीट, कठोर दंड, मानसिक उत्पीड़न एवं आर्थिक हानि जैसी गंभीर प्रताड़ना सहनी पड़ती है।
यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि निर्धारित समय से अधिक कार्य करने से न केवल लोको पायलट एवं सहायक लोको पायलट की कार्य क्षमता प्रभावित होती है, बल्कि यात्रियों, माल तथा रेलवे सम्पत्ति की सुरक्षा पर भी गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है। रेल दुर्घटनाओं के अतीत के अनुभव इस बात के प्रमाण हैं कि थकान की स्थिति में गाड़ी संचालन किसी भी समय भीषण दुर्घटना का कारण बन सकता है।
वर्तमान में पुणे मंडल सहित विभिन्न स्थानों पर रनिंग स्टाफ कर्मचारियों का मानसिक एवं प्रशासनिक शोषण निरंतर हो रहा है। अनेक वरिष्ठ अधिकारी नियमों की अनदेखी कर मनमाना व्यवहार कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल कर्मचारियों के लिए घातक है, बल्कि रेलवे सुरक्षा के लिए भी अत्यंत चिंताजनक है।
अतः हम माननीय प्रधानमंत्री जी, माननीय रेल मंत्री जी एवं सभी जनप्रतिनिधियों से विनम्र आग्रह करते हैं कि –
- रनिंग स्टाफ कर्मचारियों के कार्य-घंटों एवं विश्राम से संबंधित नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराया जाए।
- कर्मचारियों के साथ हो रहे मानसिक एवं प्रशासनिक शोषण पर त्वरित रोक लगाई जाए।
- दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही कर कर्मचारियों को न्याय दिलाया जाए।
- रनिंग स्टाफ, जिसे भारतीय रेलवे की “रीढ़ की हड्डी” कहा जाता है, की समस्याओं के माधान हेतु ठोस नीति बनाई जाए।
अन्यथा, यह आशंका बनी हुई है कि अत्यधिक मानसिक दबाव के कारण कर्मचारी वर्ग किसी भी कठोर एवं अप्रत्याशित कदम उठाने को विवश हो सकता है।
हमें पूर्ण विश्वास है कि “सबका साथ, सबका विकास” की भावना के अंतर्गत लोको पायलट एवं सहायक लोको पायलट वर्ग की समस्याओं का भी सकारात्मक समाधान किया जाएगा।
जय हिन्द।
@PMOIndia
@RailMinIndia
@LabourMinistry