महाराष्ट्र के 96,000 हजार बिजली कर्मचारियों, इंजिनीयरों तथा अधिकारियों द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों के बिजली कंपनियों के निजीकरण की नीतियों के खिलाफ ज़बरदस्त प्रदर्शनें

महाराष्ट्र राज्य वीज कामगार, अभियंते, अधिकारी संघर्ष समिती की प्रेस विज्ञप्ति
(महाराष्ट्र राज्य बिजली मज़दूर, कामगार, इंजीनियर, अधिकारी संघर्ष समिती)

(मराठी प्रेस विज्ञप्ति का हिंदी अनुवाद)
प्रेस विज्ञप्ति ‌ दि.16.02.2022

महाराष्ट्र राज्य वीज कामगार, अभियंते, अधिकारी संघर्ष समिति के निर्णय के अनुसार, महानिर्मिती (महाराष्ट्र राज्य बिजली उत्पादन कंपनी, महाजेनको), महापारेषण (महाराष्ट्र राज्य बिजली ट्रांसमिशन कंपनी, महाट्रांसको) तथा महावितरण (महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी) में जो कार्यरत हैं, उन 96,000 बिजली कर्मचारियों, इंजीनियरियों और अधिकारियों ने 16.02.2022 को तीनों कंपनियों के कार्यालयों के सामने आयोजित शक्तिशाली प्रदर्शनों में सुबह से भाग लिया। प्रदर्शन में हजारों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस संघर्ष में बिजली उद्योग के इंजीनियरों, श्रमिकों और अधिकारियों के 26 संगठन शामिल हुए हैं। ठाणे, वाशी, धारावी, कल्याण, पुणे, औरंगाबाद, नांदेड़, लातूर, परभणी, जालना, रत्नागिरी, गढ़चिरौली, जलगांव, धुले, नागपुर, अमरावती, अकोला, बुलढाणा, सिंधुदुर्ग, पालघर, चंद्रपुर, गोंदिया, भंडारा जिलों में प्रदर्शन आयोजित किए गए थे।
यह संघर्ष है:

1. महावितरण, महानिर्मिती आणि महापारेषण कंपनियों में शुरू हुए निजीकरण को रद्द करने के लिए।

2. केंद्र सरकार के बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 के खिलाफ।

3. महानिर्मिती कंपनी के तहत निजी उद्योगपतियों के हाथों जलविद्युत केंद्रों को सौंपने की नीति के खिलाफ।

4. तीनों कंपनियों में रिक्तियों को भरने में देरी के खिलाफ।

5. कर्मचारियों, इंजीनियरों और कार्यालयों की तबादला नीति के बारे में लिए गए एकतरफा फैसले के खिलाफ।

6. तीनों कंपनियों में वरिष्ठ पदों पर अनावश्यक नियुक्तियों और राजनीतिक हस्तक्षेप के खिलाफ।

संघर्ष इसलिए छेड़ा जा रहा है क्योंकि निजीकरण हुआ तो:

1. बिजली की दरें तय करने का अधिकार निजी कंपनियों के हाथों में होगा, जैसा कि दूरसंचार क्षेत्र में होता है।

2. परिणामस्वरूप बिजली की दरों में जबरदस्त वृद्धि हुई।

3. बिजली उपभोक्ताओं को मिलने वाली सभी सब्सिडी बंद कर दी जाएंगी।

4. किसानों, पॉवर लूमों और गरीबी रेखा से नीचे के उपभोक्ताओं को रियायती दर पर बिजली उपलब्ध कराने के साथ-साथ नए बिजली कनेक्शन देने की सामाजिक बाध्यता समाप्त हो जाएगी।

5. देश के करोड़ों किसानों को सस्ती बिजली के साथ-साथ दिए गए नए कनेक्शन देना बंद किये जाएंगे।

6. निजी उद्योगपति केवल लाभ के लिए इस क्षेत्र में प्रवेश करेंगे।

7. पूरे बिजली उद्योग पर नियंत्रण निजी पूंजी के पास जाएगा।

8. लोगों के करोड़ों रुपये के निवेश से बनाई गई सरकारी हजारों करोड़ों रुपयों की संपत्ति निजी मालिकों को मिलेगी।

9. बिजली यह विशिष्ट व्यक्तियों का एकाधिकार बन जाएगी।

10. नौकरियों के साथ-साथ श्रमिकों, इंजीनियरों और अधिकारियों के पदोन्नति के लिए मौजूदा आरक्षण समाप्त हो जाएगा।

11. हर पांच साल में हस्ताक्षरित वेतन वृद्धि, बोनस तथा लाभों के अनुबंध समाप्त हो जाएंगे।

12. निजी पूंजीपति जो भी वेतन देगा, उसे स्वीकार करना होगा।

13. स्थायी रोजगार को समाप्त कर संविदा, आउटसोर्सिंग एवं नियत अवधि के रोजगार के माध्यम से भर्ती शुरू की जाएगी।

14. चूंकि श्रम कानूनों को खत्म कर दिया गया है, इसलिए न्याय के लिए अदालतों में जाने का कोई अधिकार नहीं होगा।

15. अधिकारों के लिए संगठित होकर संघर्ष करना संभव नहीं होगा।

कर्मचारियों, अधिकारियों और इंजीनियरों की उपस्थिति से गेट मीटिंगें खचाखच भरी थीं। विभिन्न संगठनों के नेताओं ने मार्गदर्शन किया और सरकार की नीति के खिलाफ नारे लगाते हुए विरोध व्यक्त किया।

सादर,
महाराष्ट्र राज्य वीज कामगार, अभियंते, अधिकारी संघर्ष समिती
की ओर से
कॉम. कृष्णा भोयर,
महासचिव, महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन।

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