कामगार एकता कमिटी के संवाददाता की रिपोर्ट
केंद्र सरकार द्वारा नियोजित बिजली क्षेत्र के सुधारों से बिजली के लिए सब्सिडी समाप्त हो जाएगी। यह कदम इस अत्यंत महत्वपूर्ण आवश्यक क्षेत्र के निजीकरण की दिशा में एक कदम है। कोई भी पूंजीपति किसी को सब्सिडी नहीं देगा, और वह अधिकतम संभव दरों को वसूलने की कोशिश करेगा, और इस प्रकार इस महत्वपूर्ण आवश्यकता को करोड़ों लोगों की पहुंच से बाहर कर देगा। यह न केवल किसानों को बल्कि अपनी आजीविका कमाने के लिए बिजली का उपयोग करने वाले उन करोड़ों स्वरोजगार लोगों को और उनके परिवारों को तथा साथ-साथ गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को भी नुकसान पहुंचाएगा।
सरकार की इस क्रूर योजना के खिलाफ उपभोक्ताओं का विरोध अभी से शुरू हो गया है। तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद के विभिन्न हिस्सों में सोमवार, 14 फरवरी को कई विरोध प्रदर्शन हुए। नाइयों और धोबियों ने महसूस किया है कि केंद्र सरकार जिन को लागू करने के लिए कड़ी कोशिश कर रही है, उन बिजली क्षेत्र के सुधारों से वे बुरी तरह प्रभावित होंगे। यह सुधारों के रूप में मीटर लगाने और सब्सिडी को हटाने की योजना बना रहा है।
अभी तक तेलंगाना सरकार नाई की दुकानों, धोबी घाटों और लॉन्ड्रियों को 250 यूनिट तक मुफ्त बिजली देती है। इससे राज्य के 32 हजार सैलून लाभान्वित हो रहे हैं। इसी तरह, राज्य सरकार धोबी घाटों और लॉन्ड्रियों को 50,000 मुफ्त बिजली मीटर दे रही थी। यदि इन संख्याओं को जोड़ दिया जाए, तो यह देखा जाएगा कि सुधारों से तेलंगाना के सिर्फ एक राज्य में नाइयों और धोबियों के लाखों परोजनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
स्टेट वाशेर्मेन्स असोसिअशन (राज्य धोबी संघ) के सह संयोजक श्री के श्रीनिवास ने कहा कि बिजली सुधारों के खिलाफ रविवार 20 फरवरी को गांव, मंडल और जिला स्तर पर विरोध प्रदर्शन किये जाएंगे। बार्बर कम्युनिटी स्टेट एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री रसमल्ला बालकृष्ण ने अपने एसोसिएशन के सभी सदस्यों से केंद्र की योजनाओं से प्रत्येक ग्राहक को अवगत कराने का अनुरोध किया। बैठक के दौरान यह संकल्प लिया गया कि सभी लोग काला बिल्ला पहनेंगे और बिजली सुधारों के विरोध में भाजपा नेताओं को बाल कटवाने नहीं देंगे।
यह उत्साहजनक है कि विभिन्न धाराओं के लोगों, उपभोक्ताओं को जागरूक किया जा रहा है कि अगर बिजली क्षेत्र के सुधारों को लागू किया जाता है तो उन्हें बहुत नुकसान होगा। जनता के विरोध की ये विभिन्न धाराएं मजदूरों के विरोध की नदी में शामिल हो जाएं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि निजीकरण को लागू करने के इरादे से बनाए गये बिजली क्षेत्र के सुधारों को रोक दिया जाए!