AIFAP ने 17 मार्च 2022 को जारी महाराष्ट्र राज्य बिजली कामगार, अभियंता, अधिकारी संघर्ष समिति के संयुक्त वक्तव्य को पहले ही प्रकाशित कर दिया है। तदनुसार, उन सभी ने 22 मार्च को नांदेड़, सतारा, कल्याण, अकोला, जलगांव, नागपुर, गढ़चिरौली, सोलापुर, कोयना, औरंगाबाद, दोंदैचा, गोंदिया, चंद्रपुर, ठाणे, मुंबई, नासिक, कोल्हापुर, पंढरपुर, वाशी, भुसावल, उस्मानाबाद, मालेगांव, कराड, जयसिंगपुर, अमरावती, आदि सहित राज्य भर में गेट मीटिंगे की, जिसमें महिला और पुरुष कार्यकओंने, अधिकारियोंने, इंजीनियरोंने और संविदा कर्मियों ने भाग लिया।
(मराठी अपील का हिंदी में अनुवाद)
अध्यक्ष कॉमरेड मोहन शर्मा जी की संगठन के नेतृत्व और सदस्यों से अपील
साथियों, अब सड़कों पर लड़ने का समय है!
महासंघ के अध्यक्ष कॉमरेड मोहन शर्मा जीद्वारा महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडेरशन के सभी केन्द्रीय, ज़ोनल, मंडल, विभाग, शाखा के पदाधिकारियों एवं के सदस्यों को आदेश दिया गया है कि महाराष्ट्र राज्य बिजली कामगार, इंजीनियर, अधिकारी संघर्ष समिति और महाराष्ट्र राज्य बिजली संविदा कामगार संघटना कृति समिति दोनों द्वारा घोषित किये गये 28 व 29 मार्च को होने वाली हड़ताल में वे शत-प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करें| वे हड़ताल की तैयारी के सभी कार्यों में संघर्ष समिति और कृति समिति के सहभागी संगठनों के पदाधिकारियों को विश्वास में लें।
25 मार्च 2022 को गेट मीटिंगों को अभूतपूर्व तरीके से सफल बनाएं तथा हड़ताल के लिए पूरे महाराष्ट्र राज्य में कार्य करें। यदि केंद्र सरकार का विद्युत अधिनियम-2021 लागू होता है तो 36 सप्ताह के भीतर सभी सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
केंद्र सरकार ने अपने अधिनियम के लागू होने से पहले ही केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ओडिशा राज्य विद्युत वितरण कंपनी को हाल ही में अडानी कंपनी को 20 वर्षों के लिए बेचा गया है। श्रीनगर, पांडिचेरी, उत्तरांचल, चंडीगढ़, दीव, दमन और नगर हवेली में निजीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई थी। हालांकि, श्रमिकों, इंजीनियरों, अधिकारियों और ठेका श्रमिकों की यूनियनें एक साथ आईं और हड़ताल पर चली गईं और हड़ताल से डरी सरकार को निजीकरण के फैसले को रद्द करना पड़ा।
हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि केंद्र में या राज्य में किस पार्टी की सरकार है क्योंकि कुछ बहुत ही मामूली मतभेदों को छोड़कर सभी सरकारों की नीतियां समान हैं। हालांकि यह जरुर है कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार कांग्रेस से ज्यादा पूंजीपतियों के पक्ष में है। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक, हमारे देश में कई सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम बनाए गए। लेकिन मोदी सरकार देश की पहली ऐसी सरकार है जो सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को पूंजीपतियों को बेचने की होड़ में निकली है।
यह हड़ताल बिजली क्षेत्र के कर्मियों के वेतन वृद्धि, भत्तों, बोनस या अन्य वित्तीय मांगों के लिए नहीं है। लेकिन यह एकमात्र मांग के लिए है कि राज्य के लोगों के स्वामित्व वाले बिजली उद्योग बिजली उपभोक्ताओं के हित में उनके हाथों में ही रहे। यह मान लेना भूल होगी कि चूंकि महाराष्ट्र में संयुक्त मोर्चा की सरकार है, वह बिजली क्षेत्र को विभाजित नहीं करेगी या बिजली क्षेत्र का निजीकरण नहीं करेगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि केंद्र सरकार ने एक अलिखित आदेश जारी किया है कि राज्य के स्वामित्व वाले बैंक देश की वितरण कंपनियों को कोई वित्तीय सहायता प्रदान न करें ताकि कंपनियां कमजोर और कमजोर हो जाएं। इसलिए अगर केंद्र का कानून पास हो जाता है तो कुछ ही महीनों में देश में वितरण कंपनियां निजी पूंजीपतियों के चंगुल में आ जाएंगी। आपको गंभीरता से सोचना चाहिए कि एक बार वितरण कंपनियों का निजीकरण हो जाने के बाद महानिर्मिति और महापारेषण कंपनियों का भविष्य क्या होगा।
महाराष्ट्र राज्य बिजली बोर्ड के गठन के बाद पहली बार बिजली उद्योग के सभी प्रमुख ट्रेड यूनियन निजीकरण का विरोध करने के लिए एक साथ आए हैं। बिजली मजदूरों के आंदोलन में यह एक अभूतपूर्व घटना है। जो इस संयुक्त आंदोलन में नहीं हैं ऐसे कुछ थोड़े बहुत यूनियनों के बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बिजली कर्मचारी उन्हें अच्छी तरह से जानते हैं। आंदोलन की सूचना देने के बाद प्रशासन और सरकार ने हमारे साथ जिस तरह का व्यवहार किया है, वह अत्यंत खेदजनक है। बिजली कर्मचारी, इंजीनियर, अधिकारी और ठेका कर्मचारी कंपनियों के अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। साथियों, चाहे आप विद्युत सहायक कर्मचारी हों, जो अभी हाल ही में नियुक्त किये गये हों या इंजीनियर हों या सेवानिवृत्त कर्मचारी हों, इस हड़ताल में शामिल होना समय की मांग है। चाहे आप प्रकाशगढ़, प्रकाशगंगा, HSBC या धारावी के कर्मचारी हों या किसी शाखा कार्यालय के कर्मचारी हों, आप हड़ताल से दूर नहीं रह सकते।
मैं कृष्णा भोयर के फेसबुक पेज पर रविवार 27.03.2022 को शाम 7.00 बजे लाइव आऊंगा ताकि देश और राज्य के श्रमिकों को (बिजली क्षेत्र की) भयानक स्थिति और हड़ताल की वास्तविकता के बारे में याद दिलाया जा सके। मुझे आशा है कि आप सभी भाग लेंगे और वास्तविक स्थिति का पता लगाएंगे। आप राज्य के विभिन्न हिस्सों में काम करते हैं। मेरा आपसे आग्रह है कि पत्रकारों, संपादकों, नगर परिषद सदस्यों, ग्राम पंचायत सदस्यों, जिला परिषद सदस्यों, स्थानीय विधायकों, सांसदों, सार्वजनिक जीवन में काम करने वाले विभिन्न पदाधिकारियों और करोड़ों बिजली उपभोक्ताओं से संपर्क करें और उन्हें समझाएं और उन्हें इसके के बारे में मनवाएं कि किन कारणों की वजह से हम हड़ताल पर जा रहे हैं।
मजदूरों, इंजीनियरों, अधिकारियों और संविदा कर्मियों की एकता जिंदाबाद!
आपका सहकर्मी
कॉमरेड कृष्णा भोयर
महासचिव
महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडेरशन