बीपीसीएल का निजीकरण बंद करने का फैसला कोच्चि रिफाइनरी में हुए आंदोलनों की जीत है

कोचीन रिफाइनरी वर्कर्स एसोसिएशन के महासचिव श्री अजी एम.जी. का संदेश

(मलयालम में संदेश का हिंदी अनुवाद)

बीपीसीएल की बिक्री के लिए 7 मार्च 2020 को निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) द्वारा जारी रुचि की अभिव्यक्ति को रद्द कर दिया गया है। हालांकि एक से अधिक कंपनियों ने रुचि की अभिव्यक्ति जारी की थी, विभिन्न चरणों में आई कोविड लहर और तेल प्रसंस्करण और आपूर्ति क्षेत्रों में हो रहे परिवर्तनों के आधार पर मौजूदा रुचि की अभिव्यक्ति को रद्द कर दिया गया है, यह केंद्र सरकार ने कहा।

सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह स्थिति का आकलन करने के बाद बीपीसीएल के निजीकरण पर निर्णय लेगी। बीपीसीएल की बिक्री रोकने का केंद्र सरकार का फैसला गलत विनिवेश नीति को ही झटका है। बीपीसीएल की बिक्री के निलंबन से स्पष्ट संदेश गया है कि केंद्र सरकार की सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने की नीति पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। बीपीसीएल की बिक्री के खिलाफ कोच्चि में विरोध प्रदर्शन हुए। यह फैसला इन आंदोलनों की भी जीत है।

लेकिन हम यह भी सोचते हैं कि केंद्र सरकार द्वारा बिक्री के ऐसे उपायों को बाद में लाये जाने की संभावना है जो बिक्री की कार्यवाही से पूरी तरह से हटे बिना कॉर्पोरेट हितों की रक्षा करें। बीपीसीएल को विभाजित करने और बेचने या शेयरों को आंशिक रूप से बेचने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। यह कदम वर्तमान में वापस लिए गए निर्णय से अधिक जनविरोधी होंगे और इससे सार्वजनिक संपत्ति की और भी बड़ी लूट होगी।

वर्तमान में हम ऐसी स्थिति देख रहे हैं जहां निजी कंपनियों के पेट्रोल पंप बंद हैं क्योंकि वे डीजल और पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि नहीं होने के कारण पेट्रोल पंपों को पर्याप्त उत्पाद उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। इस संदर्भ में हम केंद्र सरकार से अनुरोध करते हैं की वे निजीकरण के लिए आगे कोई कदम न उठाए।

कोच्चि रिफाइनरी के श्रमिकों की ओर से, मैं उन सभी लोगों और संगठनों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूं जिन्होंने बीपीसीएल की बिक्री की अनुमति नहीं देने की घोषणा करते हुए आंदोलन में भाग लिया।

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