AITUC ने 41 आयुध कारखानों के निगमीकरण को वापस लेने की मांग की

AITUC के 42वें राष्ट्रीय सम्मेलन में संकल्प पारित

आयुध निर्माणी बोर्ड के तहत 41 आयुध कारखानों को 7 गैर-व्यवहार्य DPSU में निगमित करने के सरकार के एकतरफा फैसले को वापस लेने की मांग का संकल्प।

16 से 20 दिसंबर 2022 तक अलप्पुझा, केरल में आयोजित AITUC के 42वें राष्ट्रीय सम्मेलन ने, राष्ट्रीय सुरक्षा पर 41 आयुध कारखानों और 76,000 रक्षा नागरिक कर्मचारियों पर निगमीकरण के भाजपा सरकार के एकतरफा निर्णय के प्रभाव को बहुत गंभीर चिंता के साथ नोट किया है। ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों (आयुध कारखानों) के निजीकरण या बंद करने के छिपे मकसद के साथ सरकार ने बहुत धूमधाम से ऑर्डनेंस फैक्ट्री (आयुध निर्माणी) बोर्ड को कई सार्वजनिक उपक्रमों में तोड़ दिया है। सरकार के बिना सोचे-समझे निर्णय लिए हुए अब एक वर्ष से अधिक का समय हो गया है और सरकार 50% से अधिक आयुध कारखानों को काम न देकर जानबूझकर देश के सबसे रणनीतिक रक्षा उद्योग को बीमार कर रही है और वे सभी काम जो आयुध निर्माणियों के द्वारा किए जा सकते हैं उन को निजी क्षेत्र को सौंपा जा रहा है।

आयुध कारखाने हमारे देश की रक्षा की चौथी ताकत हैं और “युद्ध रिजर्व” उद्योग हैं। निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए आयुध कारखानों को नष्ट करने से हमारे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा तैयारियों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। 41 आयुध कारखानों के 76,000 असैनिक रक्षा कर्मचारियों को अनावश्यक मानसिक यातनाओं और कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वे सभी इन कारखानों में मानद प्रतिनियुक्ति पर रखे गए थे और 7 निगमों के प्रबंधनोंद्वारा उनकी सेवा शर्तों के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास किया जा रहा है।

AIDEF, BPMS और CDRA, इन प्रमुख मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठनों द्वारा पहले ही रक्षा मंत्री को एक संयुक्त पत्र प्रस्तुत किया जा चुका है, जिसमें आयुध कारखानों को निगमित करने में सरकार के फैसले की विफलता को तथ्य और आंकड़ों के साथ उजागर किया गया है और सरकार के निगमीकरण के फैसले को वापस लेने की तथा विभागीय संगठन के रूप में आयुध निर्माणियों की स्थिति को बहाल करने की मांगें की हैं। ताजा झटका यह है कि स्वीडन स्थित स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने भारतीय आयुध कारखानों का नाम विश्व के शीर्ष 100 रक्षा निर्माण उद्योगों की नवीनतम सूची से हटा दिया है।

41 आयुध कारखानों के कर्मचारियों की निगमीकरण को वापस लेने की और केंद्र सरकार के कर्मचारियों / रक्षा नागरिक कर्मचारियों के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने की मांग का AITUC पूरी तरह से समर्थन करता है और राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा तैयारियों के हित में अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने का और आयुध कारखानों के निगमीकरण के अपने गलत निर्णय को वापस लेने का भारत सरकार से आग्रह करता है। AITUC निगमीकरण के खिलाफ अपने सभी संघर्षों में और रक्षा उद्योग को वर्तमान संकट से बचाने के लिए भी रक्षा असैनिक कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहेगा।

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