कामगार एकता कमिटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
केंद्र सरकार ने विद्युत (उपभोक्ता अधिकार) नियम, 2020 में संशोधन कर प्रचलित बिजली टैरिफ प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव कर उपभोक्ताओं पर एक और हमला किया है। अब दिन के समय (टीओडी) टैरिफ प्रणाली लागू की जाएगी जिसमें बिजली दर दिन के समय के अनुसार अलग अलग होगी।
टीओडी टैरिफ प्रणाली के तहत, सौर घंटों (राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्दिष्ट एक दिन में आठ घंटे की अवधि) के दौरान टैरिफ सामान्य टैरिफ से 10 से 20 प्रतिशत कम होगा, जबकि पीक घंटों के दौरान टैरिफ 10 से 20 प्रतिशत अधिक होगा। इस प्रकार टीओडी टैरिफ में पीक आवर्स, सोलर आवर्स और सामान्य घंटों के लिए अलग-अलग टैरिफ होंगे।
टीओडी टैरिफ प्रणाली स्मार्ट मीटर वाले उपभोक्ताओं के लिए तुरन्त लागू हो जाएगी।
सरकार का दावा है कि उपभोक्ता टैरिफ के अनुसार अपनी बिजली की खपत का प्रबंधन कर बिजली बिल कम कर सकेंगे। क्या यह वास्तव में संभव है? सौर समय, अर्थात दिन में जब घर के अधिकांश लोग बाहर होते हैं, सस्ती बिजली के उपयोग का उपभोक्ता कैसे फायदा ले सकेंगे?
टीओडी टैरिफ प्रणाली का असर वास्तव में उल्टा होगा। बिजली बिल कम होने के बजाय बढ़ेंगे। अधिकांश बिजली की खपत पीक आवर्स में होती है जब सब लोग घर में होते हैं और तब बिजली दर 20 पर्तिशत तक अधिक होगी।
टीओडी टैरिफ प्रणाली हकीकत में उपभोक्ताओं के फायदे के लिए नहीं बल्कि निजी बिजली निर्माताओं के हित में लागू की जा रही है। इससे उनकी आमदनी और मुनाफे बढ़ेंगे।
बिजली (संशोधन) बिल 2022 और स्मार्ट मीटर कार्यक्रम के बाद यह एक और हमला है देश के श्रमिकों और महनतकशों पर। हर ऐसे कदम के पहले दावा किया जाता है कि यह लोगों के फायदे के लिए है लेकिन वास्तव में बड़े इजारेदार पूंजीपतियों का मुनाफा बढ़ाना ही उनका ध्येय होता है। इजारेदार पूंजीपतियों का ही ऐसी नीतियों के पीछे हाथ होता है।
यह आवश्यक है कि बिजली और अन्य क्षेत्रों के कर्मचारी, लोगों को इन हमलों की वास्तविकता बता कर उनका सामना करने के लिए जागरूक और लामबंद करें।