कामगार एकता कमिटी (KEC) संवाददाता की रिपोर्ट
31 जुलाई 2023 को बड़ी संख्या में विभिन्न विभागों में काम करने वाले रेलवे कर्मचारियों ने सीएसटी मुंबई में, सेंट्रल रेलवे कार्यालय के सामने एक प्रदर्शन का आयोजन किया। ग्रुप डी कर्मियों की परीक्षा मनमाने ढंग से रद्द करने की वे गुस्सेसे निंदा कर रहे थे। उनके प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सेंट्रल रेलवे ट्रैक मेंटेनर यूनियन के महासचिव कॉमरेड आर एन पासवान ने किया।
2019 में, सेंट्रल रेलवे के रेलवे भर्ती सेल (RRC) ने सामान्य विभागीय प्रतियोगी परीक्षा (GDCE) आयोजित करके जूनियर क्लर्क, सीनियर क्लर्क आदि के पदों पर भर्ती के लिए एक अधिसूचना जारी की। डी श्रेणी ग्रेड पे 1800 और 1900 के हजारों केंद्रीय रेलवे कर्मचारियों ने परीक्षा के लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी की। वे सभी परीक्षा की तैयारी के लिए पढ़ाई करने लगे। उनमें से कई ने उच्च वेतन ग्रेड पर पदोन्नति छोड़ दी क्योंकि यदि वे उच्च वेतन ग्रेड पर चले गए तो वे इस परीक्षा के लिए अयोग्य हो जाते। सेंट्रल रेलवे भर्ती सेल (RRC) कोई न कोई बहाना बनाकर परीक्षा को टालता रहा। अचानक 27 जुलाई 2023 को सेंट्रल रेलवे भर्ती सेल (RRC) के चेयरमैन ने घोषणा की, कि परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी और उन्होंने 2019 की अधिसूचना भी रद्द कर दी! परीक्षा की तैयारी और उसका बेसब्री से इंतजार कर रहे रेलवे कर्मचारी हैरान और गुस्से में थे और उन्होंने विरोध में यह प्रदर्शन किया।
जब कर्मचारियों का प्रतिनिधिमंडल महाप्रबंधक से मिला तो उन्हें बताया गया कि 2019 से अब तक 4 वर्षों में जिन पदों के लिए परीक्षा निर्धारित थी, उनमें से अधिकांश पद सरेंडर कर दिये गये हैं! पिछले 4 वर्षों के दौरान उच्च वेतन ग्रेड पर पदोन्नति छोड़ने वाले कई लोगों को बिना किसी गलती के बड़ा वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा है। कई कर्मचारी जो 2019 में अधिसूचना जारी होने पर निर्धारित आयु सीमा के भीतर थे, उन्हें भविष्य में जब भी कोई नई अधिसूचना जारी होगी तो आयु प्रतिबंध का सामना करना पड़ेगा। इस अन्याय से सभी रेलकर्मी बेहद नाराज हैं।
भारतभर में कई मौजूदा रेलवे कर्मचारी, जो अन्य विभागों में स्थानांतरण के लिए विभिन्न अंतर-विभागीय योग्यता परीक्षाओं में शामिल हुए हैं, मांग कर रहे हैं कि रेलवे प्रशासन को इन परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने चाहिए। इसी तरह, रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षाओं में भाग लेने वाले लाखों अभ्यर्थी, परिणाम घोषित करने की मांग कर रहे हैं। कई लोग जो पहले ही विभिन्न परीक्षाओं में उत्तीर्ण हो चुके हैं, नियुक्ति पत्र मांग रहे हैं। लेकिन रेल मंत्रालय किसी न किसी बहाने से भर्ती प्रक्रिया को लंबा खींचता जा रहा है, हालांकि रेल मंत्री ने खुद माना है कि भारतीय रेलवे में 2.8 लाख से ज्यादा पद रिक्त हैं। इसके विपरीत, संविदा कर्मियों की भर्ती के लिए अधिसूचनाएं नियमित रूप से जारी की जा रही हैं।
यह स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि भारतीय रेलवे अधिक से अधिक नौकरियों को संविदा पर रखना चाहता है। भारतीय रेलवे में सक्रिय सभी महासंघों, यूनियनों और एसोसिएशनों को भारतीय रेलवे के इस अभियान को विफल करने के लिए एक ठोस अडिग एकता बनाने की आवश्यकता है।