कामगार एकता कमिटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने सभी थर्मल उत्पादन स्टेशनों को मार्च, 2024 तक अपनी कुल आवश्यकताओं के वजन के हिसाब से चार प्रतिशत कोयला आयात करने के लिए कहा है। घरेलू कोयला आधारित संयंत्रों द्वारा कोयले की खपत और आपूर्ति के बीच का अंतर दो लाख टन प्रतिदिन है।
ऑल इंडियन पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोयला खदानों से थर्मल पावर स्टेशनों तक कोयला पहुंचने में कठिनाई का मुख्य कारण रेलवे की बाधा है। रेक की कमी है और रेलवे की लॉजिस्टिक बाधाओं के कारण थर्मल पावर हाउसों तक पर्याप्त कोयला नहीं पहुंच पा रहा है।
फेडरेशन ने यह भी कहा कि अगर रेलवे की बाधाओं के कारण कोयला थर्मल पावर प्लांटों तक नहीं पहुंच पाता है, तो आयातित कोयले तक पहुंचना और भी मुश्किल हो जाएगा, जिसे रेलवे द्वारा बंदरगाह से लाना होगा।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने मांग की है कि केंद्र सरकार को राज्य बिजली उत्पादक कंपनियों द्वारा आयातित कोयले की कीमत का भुगतान करना चाहिए। राज्य के ताप विद्युत संयंत्रों पर आयातित कोयले का अतिरिक्त भार डालना उचित नहीं है क्योंकि कोयले की कमी के लिए विद्युत् इकाइयाँ जिम्मेदार नहीं हैं, केंद्र सरकार है।
यदि ताप विद्युत संयंत्रों द्वारा कोयले का आयात किया जाता है तो वे डिस्कॉम वपर उसका बोझ डालेंगी जी दर बढ़ा कर उपभोक्ताओं से वसूलेंगी और यह पूरी तरह से अनुचित है। ऐसी स्थिति में, आयातित कोयले की कीमत केंद्र सरकार ने वहन करनी चाहिए।