ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन के महासचिव श्री शिव गोपाल मिश्रा ने घोषणा की, “अगर रेलवे संपत्तियों का निजीकरण होता है, तो एक बड़ा जन आंदोलन होगा”

अगर रेलवे संपत्तियों का निजीकरण होता है, तो एक बड़ा जन आंदोलन होगा -शिव गोपाल मिश्रा

नई दिल्ली-24 अगस्त 2021

ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन (AIRF) के महासचिव श्री शिव गोपाल मिश्रा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी के बयान को देश हित में नहीं बल्कि निजीकरण और सरकारी संपत्ति की बिक्री का जरिया मानते हुए, इसका विरोध किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कल 6 लाख करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) का अनावरण किया जिसमें यात्री ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों से लेकर हवाई अड्डों, सड़कों और स्टेडियमों तक के बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में निजी कंपनियों को देकर उनके मुद्रीकरण की योजना है| भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के पास चेन्नई के हवाई अड्डों सहित, भोपाल, वाराणसी और वडोदरा समेत 25 हवाई अड्डे भी शामिल हैं| निजी निवेश प्राप्त करने के लिए 40 रेलवे स्टेशन, 15 रेलवे स्टेडियम और अज्ञात संख्या के  रेलवे कोलोनियों को  शामिल किया गया है। स्कीम के तहत, निजी कंपनियां इनविट (INVIT) रूट का उपयोग करके एक निश्चित रिटर्न के लिए परियोजनाओं में निवेश कर सकती हैं और साथ ही उन्हें एक सरकारी एजेंसी को वापस स्थानांतरित करने से पहले एक निर्दिष्ट अवधि के लिए संपत्ति का संचालन और विकास कर सकती हैं। गोदामों और स्टेडियमों जैसी कुछ संपत्तियों को संचालन के लिए लंबी अवधि के लिए पट्टे पर भी दिया जा सकता है| यह निर्णय निजीकरण और पूंजीपतियों को सरकारी संपत्तियों की बिक्री के लिए एक खुला अवसर है और देश के लिए एक बड़ा झटका है।

महासचिव श्री शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि रेलवे की संपत्ति बेचकर पैसा जुटाने के सरकार के इस तरह के फैसलों से किराया महंगा हो जाएगा और आम यात्रियों के लिए रेलवे का इस्तेमाल करना मुश्किल हो जाएगा| उन्होंने कहा कि सरकार की निगाह रेलवे की उस जमीन पर है, जिसे कौड़ियों की कीमत पर पूंजीपतियों को बेचा जा रहा है| सुलभ और सस्ते साधन जैसे रेल और उसके संसाधनों को निजी हाथों और पूंजीपतियों को दिया जाएगा, यात्रा महँगी होगी क्योंकि निजी कंपनियां इसे अपने फायदे के लिए संचालित करेंगी, न कि  जनता के लिए।

श्री मिश्रा ने आगे कहा कि आज भी देश के अधिकांश नागरिक रेल यात्रा से अपने घरों और स्थानों को जाते हैं क्योंकि देश की अधिकांश आबादी या तो गरीब है या मध्यम वर्गीय परिवारों से है। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार रेलवे की कीमती जमीन को कौड़ियों के दाम में बेचना चाहती है और विकास के नाम पर पूंजीपतियों के जरिए उसी जमीन पर शॉपिंग मॉल और महंगे रेस्टोरेंट बनाना चाहती है, जो सिर्फ अमीरों के लिए होंगे और गरीबों के लिए नहीं। यहां तक ​​कि सरकार उन स्टेडियमों को भी बेचना चाहती है जहां रेलवे के खिलाड़ी अभ्यास करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक खेलों में भाग लेकर पदक जीतकर देश का नाम रोशन करते हैं।

श्री मिश्रा ने कहा कि हम रेल कर्मचारी सरकार के इन फैसलों से डरने वाले नहीं हैं और हम किसी भी कीमत पर रेलवे की संपत्ति का निजीकरण कर पूंजीपतियों के हवाले नहीं होने देंगे क्योंकि अगर रेलवे बची तो ही देश बचेगा। इसके साथ ही अगर सरकार ने इन फैसलों को जल्द नहीं रोका तो ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन एक बड़े जन आंदोलन के लिए बाध्य होगा और सारी जिम्मेदारी भारत सरकार की होगी| उन्होंने कहा कि हम रेलवे बचाने और देश बचाने के लिए गठित ‘एनसीसीआरएस’ संघर्ष समिति की बैठक बुलाकर आगे की रणनीति तय करेंगे और कड़ा जन आंदोलन करेंगे|

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