कामगार एकता कमिटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) के अध्यक्ष श्री शैलेन्द्र दुबे ने कहा, बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 को पारित करने के किसी भी एकतरफा प्रयास का विरोध किया जाएगा। बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 का उद्देश्य सभी लाभ कमाने वाले क्षेत्रों का बिजली वितरण निजी घरानों को सौंपना है। यह विधेयक फिलहाल ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति के पास लंबित है।
इस बीच केंद्र सरकार विद्युत (संशोधन) नियमावली के जरिये बिजली का निजीकरण जारी रखे हुए है। टैरिफ-आधारित प्रतिस्पर्धी बोली के नाम पर लगभग हर राज्य में ट्रांसमिशन का बड़े पैमाने पर निजीकरण चल रहा है।
श्री दुबे ने कहा कि कोल इंडिया के पास पर्याप्त कोयला स्टॉक और भंडार होने के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र के थर्मल पावर प्लांटों को कोयला आयात करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने बताया कि कोयला आयात में ओवर-इनवॉयसिंग के कारण जहां एक विशेष कंपनी भारी मुनाफा कमा रही है, वहीं आयातित कोयले के उपयोग के कारण बिजली उत्पादन की बढ़ती लागत का बोझ राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों पर पड़ रहा है।