कामगार एकता कमेटी ने ऑल इंडिया गार्ड काउंसिल (AIGC) के पूर्व महासचिव तथा कामगार एकता कमेटी के सदस्य, कॉम. ए. के. श्रीवास्तव की याद में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की

कामगार एकता कमेटी के संवाददाता द्वारा

कामगार एकता कमेटी ने 20 जनवरी 2024 को कॉम. ए. के. श्रीवास्तव की याद में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की। 5 जनवरी 2024 को दिल का दौरा पड़ने से कॉम. श्रीवास्तव का देहांत हो गया था।

कामगार एकता कमेटी के महासचिव कॉम ए. मैथ्यू ने सभा की अध्यक्षता की तथा कॉम. दास ने सभा का संचालन किया। दो मिनिट मौन और कॉम. श्रीवास्तव की प्रतिमा को फूल चढ़ाकर सभा की शुरुवात की गयी।

सभा में ऑल इंडिया गार्ड काउंसिल की ओर से श्री संतोष कुमार, चर्चगेट के शाखा सचिव श्री जनमजैन कुमार, AIGC के पूर्व कोषाध्यक्ष श्री प्रेमकुमार, ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन से महासचिव श्री धरमवीर सिंह अरोरा और AISMA के जोनल कोषाध्यक्ष श्री विजय काशीकर, ऑल इंडिया रेलवे ट्रेन कंट्रोलर एसोसिएशन के महासचिव श्री चंदन चतुर्वेदी, ऑल इंडिया ट्रेक मेंटैनर्स एसोसिएशन के ज़ोनल सचिव कॉम. प्रणव कुमार और कामगार एकता कमेटी और अन्य संघटनाओं के सदस्य मौजूद थे। कॉम. श्रीवास्तवजी के दो बेटे भी शुरुवात से ही सभा में शामिल थे।

कॉम. ए. मैथ्यू ने अपने भाषण में कॉम. ए. के. श्रीवास्तवजी का जीवनपरिचय दिया। कॉम. ए. के. श्रीवास्तव का जन्म 20 अगस्त, 1956 को कोलकता में हुआ था। वे 1976 में भारतीय रेल में शामिल हुए थे और बिजली विभाग (चतुर्थ श्रेणी) में खलासी के काम से शुरुआत करके 1989 में गार्ड (तृतीय श्रेणी) तक काम किया। वे ऑल इंडिया गार्ड्स काउंसिल (AIGC) के सदस्य बने और उन्होंने कई पदों पर काम किया। शाखा सचिव तथा मंडल सचिव से लेकर जोनल सचिव तथा मध्य प्रदेश के उज्जैन में 2008 में हुये AIGC की द्विवार्षिक आम सभा की बैठक (BGM) में वे संगठन की कार्यकारिणी के अध्यक्ष चुने गए। 2010 में उन्हें फिर से उसी पद के लिए चुना गया। 2012 में उन्हें AIGC का महासचिव चुना गया और 2014 में आंध्र प्रदेश के तिरुपति में उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुना गया। महासचिव के तौर पर उन्होंने संगठन के निर्माण के लिए पूरे हिन्दोस्तान के दौरे किये।

कॉम. श्रीवास्तव ने ऑल इंडिया रेलवे एम्प्लॉईज़ कॉनफेडरेशन (AIREC) के बैनर तले रेलवे के श्रेणीवार संगठनों की एकता बनाने के लिए काम किया। वे AIREC के पश्चिमी रेलवे जोनल सचिव थे और उन्होंने गार्ड (AIGC), लोको पायलट (AILRSA), स्टेशन मास्टर्स (AISMA), ट्रैक मेंटेनर्स (AIRTU), सिग्नल और टेलीकॉम मेंटेनर्स (AISTMA), ट्रेन कंट्रोलर (AITCA), टिकट चेकिंग स्टाफ (AIRTCSA) आदि सहित विभिन्न श्रेणी की यूनियनों को एकजुट करके AIREC के पुनर्निर्माण के लिए उन्हों ने काम किया। उन्हों ने रेलवे में हो रहे निजीकरण के खि़लाफ़ सभी रेल कर्मचारियों को एकजुट करने का काम किया।

कामगार एकता कमेटी में भी उन्होंने भरपूर काम किया। उन्होंने कोविड महामारी के दौरान KEC के मदत से रेलवे के श्रेणीवार संगठनों के महासचिवों के साथ एक ऑनलाइन मीटिंग आयोजित की थी। वे हमेशा से इन श्रेणीवार संगठनों की एकता की ओर काम करते थे।

वे शुरुवात से ही कम्युनिस्ट विचारधारा की ओर आकर्षित थे। बाद में वे हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के वे सदस्य बने। उन्होंने पार्टी की विचारधारा को रेल कर्मचारियों के बीच फ़ैलाने के लिए जी लगाकर काम किया। वे अकसर पार्टी का पेपर और अन्य प्रकाशन अपनी मीटिंगों में ले जाते थे। कॉम. श्रीवास्तव ने निजीकरण और सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ रेल मज़दूरों की एकता बनाने के लिए अथक कार्य किया। कोविड महामारी के बाद वे लकवा के स्ट्रोक से अपंग हो गये थे; परन्तु वे हमेशा आशावादी थे कि वे ठीक हो जायेंगे और रेल कर्मचारियों की एकता बनाने के लिए अपना काम जारी रखेंगे। श्रीवास्तवजी के परिवार के परिवार प्रति संवेदना बयां करके कॉम.मैथ्यू ने अपना भाषण समाप्त किया।

कॉम. प्रेमकुमार, कॉम. संतोषकुमार, कॉम. चंदन चतुर्वेदी, कॉम. प्रणव कुमार, कॉम. विजय काशीकर और अन्य वक्ताओं ने अपनी बात रखकर श्रीवास्तवजी को श्रद्धांजलि अर्पण की। AIREC के कार्यकारी सचिव तथा AIGC के महासचिव ने अपने स्मृति संदेश भेजे जिन्हें मीटिंग में पढ़ा गया। अपने भाषण में अनेक वक्ताओं ने श्रीवास्तवजी के साथ अपने वैयक्तिक अनुभव बताएं। वे हमेशा मजदूर वर्ग के हित में, मजदूर वर्ग की एकता बनाने की दिशा में काम करते थे। अपने कार्यकाल में AIGC की सदस्यता बढ़ाने में उनकी निर्णायक भूमिका थी। वे रेल कर्मचारियों के हकों के बारे में सचेत थे, उन्होंने निजीकरण के विरोध में रेल के अनेक श्रेणीवार संगठनों की एकता बनाने की दिशा में खूब मेहनत की। वे कहा करते थे की मैं VRS लेकर पूरे देश में घूमकर रेल कर्मचारियों की एकता बनाना चाहता हूँ। अपने ओहदे के बावजूद वे आलोचना का खुलकर सामना करते थे। वे एक उत्तम संगठक थे।

सभा के समापन करते हुए कॉम. मैथ्यू ने कहा की मजदूरों को मजदूर वर्ग के लिए संघर्ष करते रहना चाहिए। रेलवे देश की जीवन रेखा है। जब रेल मजदूर अपने हक़ के लिए संघर्ष करते हैं तब सभी मजदूरों को संघर्ष की प्रेरणा मिलती है। रेल मजदूरों को बांटे रखने से प्रशासन का फायदा होता है। ये 1974 के महान रेलवे हड़ताल की रजत जयंती वर्ष है, जिस हड़ताल ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को ठप किया था और मजबूरन सरकार को आपातकाल की घोषणा करने के लिए मजबूर किया था। आज मजदूरों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं। हमें रेल कर्मचारियों की एकजुटता बनानी पड़ेगी तथा उसे और मजबूत बनाना पड़ेगा। जो काम श्रीवास्तवजी ने हाथ में लिया था और अंतिम साँस तक जिस ध्येय के लिए वो काम कर रहे थे, उस राह पर आगे काम जारी रखना ही कॉम. ए. के. श्रीवास्तव के लिए वास्तविक श्रद्धांजलि होगी।

कॉम ए. के. श्रीवास्तव को लाल सलाम।

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