कामगार एकता कमिटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
लगभग हर बड़े स्टेशन पर उच्चाधिकारियों के मौखिक आदेश पर ट्रेनों का परिचालन तेजी से कराने के लिए और ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने की होड़ में सुरक्षा नियमों की अवहेलना की जा रही है। ऐसे बार बार समाचार आ रहे हैं कि लोको पायलटों पर नियमों के विपरीत ट्रेन चलाने का दबाव बनाया जा रहा है जो उनके साथ साथ यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है। उलटे लोको पायलटों को सुरक्षा नियमों का पालन करने के लिए दंड दिया जा रहा है!
अब समाचार मिला है कि उत्तर रेलवे के लखनऊ रेलमंडल में वाराणसी में अधिकारियों ने उनके गलत आदेश को न मानने के लिए लोको पायलट ए के श्रीवास्तव और सीनियर असिस्टेंट लोको पायलट आदर्श कुमार गुप्ता को ट्रेन विलंब के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए निलंबित कर दिया और जांच बैठा दी। दोनों लोको पायलटों ने नियमों के अनुसार कॉलिंग ऑन सिग्नल को लेकर स्थापित नियम GR 3.45 का उल्लंघन करने से इंकार कर दिया था।
यह घटना 3 अप्रैल 2024 को हुई जब ट्रेन संख्या 13006 को वाराणसी Pf No. 05 से स्टार्टर सिगनल ऑफ करके चलाया गया तथा रूटिंग स्टार्टर (S-14) पर गाड़ी खड़ी होने से पहले ही (रनिंग कंडिशन) कॉलिंग ऑन सिग्नल को ऑफ कर दिया गया था. लोको पायलटों ने इसे GR 3.45 का उल्लंघन बताया और कहा कि गाड़ी खड़ी होने के बाद कॉलिंग ऑन सिग्नल को ऑन करके पुनः ऑफ किया जाये। लेकिन ऑपरेटिंग के डिप्टी एसएस ने G&SR के नियमों को दरकिनार कर गाड़ी उसी स्थिति में चलाने के लिए लोको पायलट पर दबाव बनाया। इसे लेकर हुए विवाद से ट्रेन लेट हो गयी।
ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसिओसेशन (AILRSA) ने वाराणसी स्टेशन पर गाड़ियों को गति देने के लिए लगातार कॉलिंग ऑन सिग्नल का प्रयोग GR 3.45, GR 3.70 के विरोध में किया जाने के विषय में पत्र लिखा है और इसे रोकने की मांग की है। (पत्र संलग्न) यह आने वाले समय में एक वृहद दुर्घटना को निमंत्रित कर रहा।
रेलवे अधिकारियों पर ट्रेनों को तेज चलाने के दबाव के लिए रेल मंत्रालय और केंद्र सरकार जिम्मेदार हैं। भारतीय रेल के बुनियादी ढांचे में सुधार किये बिना रफ़्तार बढ़ाने के प्रयास खतरनाक हैं। यह रेल कर्मियों और यात्रियों के जीवन से खिलवाड़ है जिसका सभी रेल कर्मियों और यात्रियों ने विरोध करना चाहिए।