कामगार एकता कमिटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड (एचपीएसईबीएल) के कर्मचारी राज्य में स्मार्ट मीटर लगाने का विरोध कर रहे हैं। एचपीएसईबीएल एमपलोईज यूनियन ने मुख्यमंत्री से राज्य में सभी 26 लाख बिजली मीटरों को स्मार्ट मीटर से बदलने के फैसले को वापस लेने का आग्रह किया है।
यूनियन के सचिव श्री एचएल वर्मा ने कहा, “यह फैसला न तो एचपीएसईबीएल और न ही राज्य के हित में है।” उन्होंने कहा कि करीब 12 लाख उपभोक्ताओं को ‘शून्य बिल’ मिलता, क्योंकि उन्होंने 125 यूनिट से कम बिजली की खपत की, जो उपभोक्ताओं के लिए मुफ्त है। उन्होंने पूछा, “125 यूनिट से कम मुफ्त बिजली की खपत करने वाले घर में करीब 10,000 रुपये की लागत वाले स्मार्ट मीटर लगाने के पीछे क्या तर्क है?” उन्होंने कहा, “क्या ऐसे उपभोक्ताओं के लिए करीब 500 रुपये की लागत वाला इलेक्ट्रॉनिक मीटर बेहतर विकल्प नहीं है?”
यूनियन ने आगे बताया कि एचपीएसईबीएल ने हाल ही में पूरे राज्य में मैकेनिकल मीटरों को इलेक्ट्रॉनिक मीटरों से बदल दिया है। उन्होंने कहा, “अब स्मार्ट मीटर लगाने के कदम से हाल ही में लगाए गए ये इलेक्ट्रॉनिक मीटर कबाड़ में बदल जाएंगे और इस कबाड़ को निपटाने के लिए अनावश्यक खर्च करना पड़ेगा। इस फैसले से उपभोक्ताओं पर हर महीने करीब 125 रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।”