श्री एम. षणमुगम, संसद सदस्य (राज्यसभा) एवं महासचिव, लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन द्वारा रेल मंत्री को लिखा गया पत्र
(अंग्रेजी पत्र का अनुवाद)
एम. षणमुगम
संसद सदस्य
(राज्य सभा)
सदस्य:
• सार्वजनिक उपक्रमों संबंधी समिति
• श्रम संबंधी स्थायी समिति
• वित्त संबंधी परामर्शदात्री समिति
महासचिव:
• श्रम प्रगतिशील महासंघ
प्रिय श्री अश्विनी वैष्णव जी,
वनक्कम। मैं लोको पायलटों, सहायक लोको पायलटों और उनके साप्ताहिक/आवधिक आराम के विषय पर आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन का दिनांक 21.06.2024 का पत्र अग्रेषित कर रहा हूं।
कहा जा रहा है कि कई दुर्घटनाएं और खतरे में सिग्नल पार करने की सैकड़ों घटनाएं चालक दल की ओर से सतर्कता की कमी के कारण हुई हैं। हमारा मानना है कि चालक दल की ओर से सतर्कता की कमी अत्यधिक थकान और अपर्याप्त आराम के कारण जमा हुई नींद के कारण है। यहां तक कि रेलवे सुरक्षा पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने भी सिफारिश की है कि रनिंग स्टाफ के लिए लगातार रात की ड्यूटी दो रातों तक सीमित होनी चाहिए, जिसके बाद उन्हें फिर से बुक होने से पहले कम से कम एक पूरी रात बिस्तर पर सोने की अनुमति दी जानी चाहिए। उपरोक्त सिफारिश को बिना किसी ढील के लागू किया जाना चाहिए।
परंतु, लोको पायलटों और सहायक पायलटों के वर्ग के साथ अलग व्यवहार और भेदभाव किया जाता है। यह मामला दिनांक 22 अक्टूबर, 2001 के आदेश संख्या 95(1)/2000-बी2 के तहत आरएलसी, बेंगलुरू को भेजा गया है।
रेलवे प्रशासन ने उन मज़दूरों के खिलाफ विभिन्न दंडात्मक कार्रवाइयां कीं, जिन्होंने आरएलसी और कर्नाटक उच्च न्यायालय की आदेशानुसार साप्ताहिक विश्राम का लाभ उठाया था। इस प्रक्रिया में, प्रबंधन ने 20 कर्मचारियों को निलंबित किया और 14 कर्मचारियों को दूरस्थ स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया और पूरे दक्षिण रेलवे में 300 आरोप पत्र जारी किए।
इसलिए हम अनुरोध करते हैं कि दक्षिण रेलवे के महाप्रबंधक को सलाह दी जाए कि वे अब तक की गई दंडात्मक कार्रवाइयों को वापस लें और अन्य सभी रेलवे कर्मचारियों की तरह ही प्रति सप्ताह मुख्यालय में 16 घंटे का विश्राम और रनिंग स्टाफ को 30 घंटे का आवधिक विश्राम दें।
सादर,
आपका सादर,
(एम. षणमुगम)
संलग्न: उपरोक्तानुसार
सेवा में
श्री अश्विनी वैष्णव,
माननीय रेल मंत्री
रेल भवन, नई दिल्ली।