विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश की बैठक की रिपोर्ट
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश
वाराणसी और आगरा डिस्कॉम के निजीकरण के विरोध में उपभोक्ताओं को साथ लेकर पूरे प्रदेश में जन पंचायतें की जाएंगी।
4 दिसंबर को वाराणसी और 10 दिसंबर को आगरा में विशाल जन पंचायत का आयोजन किया जाएगा।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश की 26 नवंबर 2024 को लखनऊ में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि घाटे के नाम पर गलत आंकड़े प्रचारित कर पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण की प्रक्रिया का पुरजोर विरोध किया जाएगा और निजीकरण का फैसला वापस लिए जाने तक आंदोलन जारी रहेगा।
संघर्ष समिति ने कहा कि 05 अप्रैल 2018 एवं 06 अक्टूबर 2020 को तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्री श्रीकांत शर्मा एवं कैबिनेट सब कमेटी के अध्यक्ष वित्त मंत्री श्री सुरेश खन्ना के साथ हुए लिखित समझौते में स्पष्ट कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र में कहीं भी निजीकरण बिना बिजली कर्मचारियों को विश्वास में लिए नहीं किया जाएगा।
आगे लिखा है कि डिस्कॉम की मौजूदा व्यवस्था में सभी सुधार कर्मचारियों के सहयोग से ही किए जाएंगे।
अब कर्मचारियों के हितों को ताक पर रखकर निजीकरण किया जा रहा है, जो इन समझौतों का खुला उल्लंघन एवं कैबिनेट सब कमेटी का अनादर है।
पावर कॉरपोरेशन का यह कहना कि कर्मचारियों की सेवा शर्तें प्रभावित नहीं होंगी, पूरी तरह भ्रामक है। आगरा डिस्कॉम में 10,411 कर्मचारी तथा वाराणसी डिस्कॉम में 17,189 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनके पद निजीकरण से समाप्त हो जाएंगे। इस तरह कुल 27,600 पद समाप्त हो जाएंगे। स्वाभाविक रूप से 27,600 पद समाप्त होने से बड़ी संख्या में कर्मचारियों को छंटनी का सामना करना पड़ेगा।
संघर्ष समिति के निर्णय से सभी कर्मचारियों को अवगत कराने के लिए 29 नवंबर को दोपहर 01.30 बजे भोजनावकाश के समय प्रदेश के सभी जिलों, जोन एवं परियोजना मुख्यालयों पर बैठक आयोजित की जाएगी।
शैलेन्द्र दुबे
संयोजक