संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच व संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस विज्ञप्ति
संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच व संयुक्त किसान मोर्चा, दिल्ली
घटक संगठन :
इंटक, एटक, एच.एम.एस., सीटू, ए.आई.यू.टी.यू.सी., टीयूसीसी, सेवा, ऐक्टू, एलपीएफ, यू.टी.यू.सी., एम.इ.सी., आई.सी.टी.यू, ए.आई.के.एस, ए.आई.के.एम, भा.कि.यू. (टिकेत) व एस.के.एम. के अन्य सभी संगठन
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26.11.2024
प्रेस विज्ञप्ति
अखिल भारतीय विरोध दिवस के तहत
उपराज्यपाल, दिल्ली कार्यालय पर मज़दूरों-किसानों ने किया विशाल धरना
🟣 केन्द्र तथा राज्य सरकारों की मज़दूर विरोधी, किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ़ तथा मज़दूरों-किसानों की मांगों के समर्थन में आज दिल्ली के एल.जी. कार्यालय पर सुबह 10.00 से सायं 4.00 बजे तक विशाल धरने का आयोजन किया गया।
🟣 प्रदर्शन में सैकड़ों की संख्या में दिल्ली के विभिन्न इलाकों और विभिन्न सेक्टर से मज़दूर और कर्मचारी शामिल हुए, जिसमें बड़ी संख्या में महिला मज़दूरों ने भी भागीदारी की। प्रदर्शन के माध्यम से दिल्ली के उप-राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा गया, जिसमें बढ़ती महंगाई पर रोक लगाने, 4 लेबर कोड कानून रद्द करने, सरकारी संस्थानों के निगमीकरण-निजीकरण को रोकने, सरकारी संस्थानों में रिक्त पदों को भरने, श्रमिकों को 26,000 रू. न्यनूनतम वेतन व 10,000 रू. पेंशन देने, एम.एस.पी. की गारंटी देने वाले कानून पारित करने, शहरी रोजगार गारंटी कानून लाने समेत विभिन्न मांगों को रेखांकित किया गया।
🟣 प्रदर्शनकारियों को सीटू के राष्ट्रीय महासचिव तपन सेन, एच.एम.एस. के राष्ट्रीय महासचिव हरभजन सिंह सिद्धु, एटक की राष्ट्रीय सचिव वाहिदा, एक्टू की राष्ट्रीय सचिव सुचेता डे, सेवा संगठन से लता, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व ए.आई.के.एस. के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हन्नान मौल्ला, प्रेम सिंह गहलावत, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ए.आई.कि.म.स. समेत सभी संगठनों के दिल्ली राज्य के नेताओं ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा कि लोकसभा चुनावों में देश के मज़दूरों और किसानों द्वारा नीतियों के खिलाफ़ स्पष्ट मतादेश के बावजूद केन्द्र सरकार द्वारा अपनाई जा रही नीतियों में कोई भी बदलाव नहीं आया है। इसके उलट इन नीतियों में पहले से और अधिक आक्रामकता आई है। जहां मज़दूर विरोधी 4 लेबर कोड कानूनों को लागू करने के प्रयास और तेज़ हो गए हैं, वहीं किसानों को फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य के गारंटी के कानून को लागू करने पर अब तक कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।
वक्ताओं ने यह भी कहा कि अगर सरकार अपने कॉरपोरेट पक्षीय नीतियों से पीछे नहीं हटती है तो आने वाले दिनों में पूरे देश में मज़दूरों और किसानों के आंदोलन को और तीखा किया जाएगा।
जारीकर्ता
अनुराग सक्सेना,
एस. टी. यू. मंच, व एस.के.म. दिल्ली द्वारा