चंडीगढ़ में बिजली पंचायत ने बिजली वितरण के निजीकरण के विरोध में सभी राज्यों के बिजली कर्मचारियों द्वारा 31 दिसंबर को एक घंटे के लिए कार्य बहिष्कार करने का निर्णय लिया

कामगार एकता कमेटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट

चंडीगढ़ में बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ 25 दिसंबर को राष्ट्रीय विद्युत कर्मचारी एवं अभियंता समन्वय समिति (NCCOEEE) के बैनर तले बिजली पंचायत का आयोजन किया गया। इस पंचायत में चंडीगढ़ के हजारों बिजली कर्मचारियों के अलावा उपभोक्ता, किसान और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। पंचायत में चंडीगढ़ के मेयर, कई पार्षद, राजनीतिक दलों के शीर्ष नेता, सभी ट्रेड यूनियनों के पदाधिकारी भी शामिल हुए। हरियाणा, हिमाचल, पंजाब और जम्मू-कश्मीर से भी सैकड़ों कर्मचारियों ने पंचायत में हिस्सा लिया और निजीकरण के खिलाफ आवाज उठाई।

पंचायत की अध्यक्षता यूटी पावर मैन यूनियन के अध्यक्ष अमरीक सिंह ने की तथा इसमें ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे, AIPEF के मुख्य संरक्षक पदमजीत सिंह, इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (EEFI) के सुभाष लांबा, चंडीगढ़ के मेयर कुलदीप कुमार टीटा, कांग्रेस अध्यक्ष हरमोहिंदर सिंह लक्की, आरके शर्मा, देवेंद्र कुमार, गुरप्रीत सिंह गंडी, सुरेश राठी, हीरा लाल वर्मा आदि ने संबोधित किया।

शैलेंद्र दुबे ने कहा कि यूपी सरकार ने पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम को भी निजी हाथों में सौंपने का फैसला किया है, जिसके खिलाफ यूपी के बिजली कर्मचारी व इंजीनियर मजबूती से लड़ रहे हैं।

इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने एलान किया कि निजीकरण के खिलाफ लड़ाई चंडीगढ़ के साथ-साथ पूरे देश में लड़ी जाएगी। उन्होंने घोषणा की कि 31 दिसंबर को सभी राज्यों के बिजली कर्मचारी निजीकरण के विरोध में दोपहर 12 बजे से एक बजे तक काम बंद रखेंगे और सभी राज्यों की राजधानियों में राजभवन तक मार्च निकालेंगे।

महासचिव गोपाल दत्त जोशी ने कहा कि प्रशासन सरकारी कर्मचारियों को निजी कंपनियों के अधीन काम करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो बिजली कर्मचारी बिल्कुल भी काम नहीं करेंगे।

अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव बीजू कृष्णन ने निजीकरण का पुरजोर विरोध किया और आंदोलन का समर्थन किया।

कई दिनों से निजीकरण के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठे कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी पहुंचकर निजीकरण के खिलाफ लड़ाई में हर संभव मदद देने का ऐलान किया।

सभी ट्रेड यूनियन नेताओं ने एक स्वर में कहा कि वे बिजली के निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों के संघर्ष का पूरा समर्थन करते हैं। ट्रेड यूनियनों ने चेतावनी दी कि अगर निजीकरण का विरोध कर रहे एक भी बिजली कर्मचारी के साथ कोई उत्पीड़न किया गया तो प्रदेश के लाखों कर्मचारी और श्रमिक चुप नहीं बैठेंगे और बिजली कर्मचारियों के साथ आंदोलन में कूद पड़ेंगे। यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक बिजली का निजीकरण वापस नहीं हो जाता।

 

 

 

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