कामगार एकता कमेटी (KEC) संवाददाता की रिपोर्ट
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने बिजली वितरण कंपनियों के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ़ सिलसिलेवार विरोध प्रदर्शन करने का फ़ैसला किया है। समिति ने 27 जनवरी को कैंडल मार्च निकालने की भी योजना बनाई।
समिति ने आंदोलन के अगले चरण पर निर्णय लेने के लिए 1 फरवरी को लखनऊ में सभी यूनियनों की केंद्रीय कार्यकारिणी की संयुक्त बैठक भी तय की है।
संघर्ष समिति के संयोजक श्री शैलेंद्र दुबे ने कहा, “27 जनवरी को पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मचारी और इंजीनियर अपने कार्यालयों के बाहर शाम 5 बजे सभा करेंगे और उसके बाद कैंडल मार्च निकालेंगे।”
समिति ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण के लिए ट्रांजेक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति की अनियमित प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की है।
संघर्ष समिति के नेताओं ने कहा कि 23 जनवरी को शक्ति भवन में होने वाली प्री-बिड मीटिंग SLDC के गेस्ट हाउस में गुप्त रूप से आयोजित की गई। प्री-बिड मीटिंग में तीन कंपनियों- प्राइसवाटरहाउस कूपर्स, अर्न्स्ट एंड यंग और ग्रांट थॉर्नटन ने भाग लिया, जिससे हितों के टकराव की चिंता जताई गई क्योंकि वे पहले से ही निगम से जुड़ी हुई हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने और निजीकरण की प्रक्रिया को रद्द करने की अपील की। उन्होंने चेतावनी दी कि निजीकरण से उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें तीन गुना बढ़ सकती हैं।