स्मार्ट/प्रीपेड इलेक्ट्रिक मीटर के खिलाफ कार्रवाई समिति का पत्रक
स्मार्ट/प्रीपेड बिजली मीटर के खिलाफ कार्रवाई समिति
अमरावती जिला
बिजली उपभोक्ताओं का
जन मोर्चा
माननीय अधीक्षण अभियंता कार्यालय तक
10 मार्च 2025 – दोपहर 12 बजे
स्थान: मोर्चा डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर स्मारक (इरविन चौक) से शुरू होगा।
स्मार्ट/प्रीपेड इलेक्ट्रिक मीटर ‘अस्वीकार्य’
सभी बिजली उपभोक्ताओं,
बिजली एक मूलभूत आवश्यकता है। हम अपनी दिनचर्या में इसका उपयोग करते हैं। बिजली में कोई भी परिवर्तन हमारे दैनिक जीवन को सीधे प्रभावित करता है। हमारी आबादी में 85% किसान, खेतिहर मजदूर, कुशल-अकुशल मज़दूर, असंगठित मज़दूर हैं, जो किसी तरह अपना गुजारा कर रहे हैं। इसीलिए बिजली उपभोक्ताओं को निजी कंपनियों की मर्जी पर छोड़ना, बिजली को लाभ का क्षेत्र बनाना और सरकार का अपनी जिम्मेदारी से मुकरना लोकतंत्र की समग्र अवधारणा के खिलाफ है। “महावितरण” ने स्मार्ट/प्रीपेड मीटर लगाना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, गुजरात और राजस्थान के लोग पहले ही इन मीटरों को नकार चुके हैं। दरअसल, विद्युत अधिनियम 2003 के अनुच्छेद 5 के अनुसार, उपभोक्ताओं को यह तय करने का अधिकार है कि कौन सा मीटर लगाया जाना चाहिए। इस अधिकार का उपयोग करते हुए, हम इन मीटरों को “अस्वीकार्य” मानते हुए अस्वीकार करते हैं और पुराने पोस्टपेड मीटर को जारी रखना चाहते हैं। महावितरण को यह बात दृढ़ता से बताने के लिए, “बिजली उपभोक्ता जन मोर्चा” का आयोजन किया गया है।
हम स्मार्ट/प्रीपेड इलेक्ट्रिक मीटर का विरोध क्यों कर रहे हैं?
>> कोई भी मीटर इस्तेमाल की गई बिजली को माप सकता है। यह चोरी का पता नहीं लगा सकता। चोरी को वास्तविक स्थान पर जाकर ही पकड़ा जा सकता है। महावितरण का यह दावा पूरी तरह से झूठा है कि मीटर से घाटा कम होगा।
>> चूंकि महावितरण बिजली उपभोक्ताओं से जमा राशि वसूलता है, इसलिए पोस्टपेड मीटर पर्याप्त हैं।
>> राज्य में 2 लाख उपभोक्ता 30 यूनिट से कम, 1.43 लाख 100 यूनिट से कम, 52 लाख घरेलू उपभोक्ता 101-300 यूनिट, 4 से 5 लाख व्यावसायिक उपभोक्ता 300 यूनिट उपयोग करते हैं। यानी 2 करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर से कोई लाभ नहीं मिलेगा।
>> महावितरण द्वारा तय मीटर की कीमत में से 900 रुपए केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाएगी। शेष 11,100 रुपए बिजली उपभोक्ताओं को किसी तरह से चुकाने होंगे। बिजली की दरों में मध्यम वृद्धि होगी।
>> जिन कंपनियों को 2.24 करोड़ स्मार्ट मीटर के लिए टेंडर दिए गए हैं, उनमें से एक “जीनस” कंपनी है। इस स्मार्ट मीटर निर्माता ने चुनावी बॉन्ड के जरिए भाजपा को 25.5 करोड़ रुपए दिए गए हैं। आपूर्तिकर्ताओं में NCC कंपनी ने 60 करोड़ रुपए दिए हैं। पैसे को अपना “भगवान” मानने वाली कंपनियां बिना वजह रिश्वत नहीं देती हैं। इस तरह इन मामलों में गुणवत्ता आश्वासन “शून्य” होगा।
>> प्रीपेड मीटर लगाने से 25,000 कर्मचारियों के परिवार भूखे मरने को मजबूर होंगे। उनका क्या होगा?
>> आम लोगों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं, कुछ जगहों पर नेटवर्क नहीं है। सच्चाई यह है कि वे इन तकनीकों को नहीं समझते हैं। फिर वे सेवा का लाभ कैसे उठाएंगे? रात के समय और संकट और आपातकाल के समय वे क्या करेंगे?
>> केंद्रीय नीतियों के जरिए बिजली क्षेत्र का निजीकरण करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। लोगों को यह जरूरी सेवा मुहैया कराने की जिम्मेदारी अब सरकार की नहीं रहेगी। बिजली अब महावितरण द्वारा उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सेवा नहीं रह जाएगी। फिर इसके सरकारी कंपनी होने का क्या फायदा?
हमारी मांगें
>> स्मार्ट/प्रीपेड बिजली मीटर लगाना तुरंत बंद किया जाए। महावितरण नीति वापस ली जाए।
>> बिजली की दरें कम की जाएं। प्रस्तावित दरों में वृद्धि रोकी जाए।
भागीदार संगठन
संयुक्त किसान मोर्चा – संयुक्त कामगार कर्मचारी संगठन कृति समिति, किसान आज़ादी आंदोलन, महाराष्ट्र राज्य किसान सभा, अखिल भारतीय किसान सभा, राज्य सरकारी कर्मचारी संगठन, AITUC कामगार संगठन, CITU कामगार संगठन, भारतीय खेतमज़दूर यूनियन, महाराष्ट्र राज्य शेतमज़दूर यूनियन (लाल झंडा), आम आदमी पार्टी, आज़ाद समाज पार्टी, नवजागरण मनीषी और क्रांतिकारी स्मरण समिति, मराठा सेवा संघ, संभाजी ब्रिगेड, किसान पुत्र आंदोलन, स्वाभिमानी शेतकारी संगठन, संतरा बगायतदार संगठन, आंगनवाड़ी कर्मचारी संगठन (AITUC), आंगनवाड़ी कर्मचारी संगठन (CITU), भारतीय महिला फेडरेशन, जनवादी महिला संगठन, ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन (AIYF), डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI), अखिल भारतीय दलित अधिकार आंदोलन
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कॉम. तुकाराम भस्मे, अशोक सोनारकर, चंद्रकांत बानुबकोड़े, सुभाष पांडे, प्रो. साहेबराव विडाले, डॉ. ओमप्रकाश कुटेमाटे, सतीश चौधरी, सुनील मेटकर, महादेव गरपवार, देवीदास राऊत, शाम शिंदे, डीएस पवार, एचबी घोम, जेएम कोठारी, महेश जाधव, नीलकंठ ढोके, रमेश सोनुले, सुनील देशमुख, संजय मंडावधरे, सुनील घाटाले, दिलीप शापमोहन, नितिल गवली, महेश देशमुख, डॉ. अलीम पटेल, किरण गुडघे, गणेश मुंद्रे, अश्विन चौधरी, डॉ. प्रफुल्ल गुडघे, मनीष पाटिल, प्रकाशदादा साबले, एड. चेतन पारडके, सलाहकार धनंजय तोते, मीरा कैथवास, पद्माताई गजभिये, प्रफुल्ल देशमुख, वंदना बुरांडे, चित्रताई वंजारी, आशाताई वैद्य, सागर दुर्योधन, प्रो. कैलास चव्हाण (सीनेट सदस्य), किशोर शिंदे, दीपकराव विडाले, उमेश बंसोड़, प्रो. प्रेसनजीत तेलंग, ज्ञानेश्वर मेश्राम
सुझाव:- बिजली उपभोक्ताओं को स्मार्ट/प्रीपेड मीटर को “अस्वीकार्य” बताते हुए एक आवेदन भरना चाहिए। उपभोक्ताओं को ये आवेदन कार्यकर्ताओं को देने चाहिए और जन मोर्चा में शामिल होना चाहिए।