सर्व हिन्द आम हड़ताल का ऐलान: शासक वर्ग के मज़दूर-विरोधी, जन-विरोधी हमले के ख़िलाफ़ सर्व हिन्द अधिवेशन

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

18 मार्च, 2025 को नयी दिल्ली के आईटीओ स्थित प्यारे लाल भवन में मज़दूरों का एक सर्व हिन्द अधिवेशन हुआ। इस अधिवेशन को दस केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों तथा विभिन्न फेडरेशनों ने संयुक्त रूप से आयोजित किया था।

अधिवेशन ने 20 मई 2025 को सर्व हिन्द आम हड़ताल करने की घोषणा की।

अधिवेशन में रक्षा संयंत्रों, इस्पात कारखानों, कोयले की खदानों, रेलवे, पोर्ट एंड डॉक, बैंक, बीमा, डाक तथा आशा-आंगनवाडी कर्मियों के संगठनों और अन्य क्षेत्रों के मज़दूरों की फेडरेशनों से 1000 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। मज़दूर एकता कमेटी के एक प्रतिनिधिमंडल ने अधिवेशन में हिस्सा लिया।

अधिवेशन को संबोधित करने वालों में शामिल थे – इंटक से अशोक सिंह, एटक से कामरेड अमरजीत कौर, एच.एम.एस. से कामरेड हरभजन सिंह सिद्धू, सीटू से कामरेड तपन सेन, ए.आई.यू.टी.यू.सी. से कामरेड हरीश त्यागी, ए.आई.सी.सी.टी.यू. से कामरेड राजीव डिमरी, सेवा से लता, एल.पी.एफ. से जवाहर सिंह और यू.टी.यू.सी. से अशोक घोष।

वक्ताओं ने शासक वर्ग द्वारा किये जा रहे मज़दूर-विरोधी, किसान-विरोधी, जन-विरोधी, राष्ट्र-विरोधी हमलों के खि़लाफ़ संघर्ष को तेज़ करने का ऐलान किया।
हुक्मरान वर्ग के हमलों के ख़िलाफ़ उठने वाली मज़दूर वर्ग की सामूहिक आवाज़ को केन्द्र व राज्य सरकारें किस प्रकार दबा रही हैं, इसका वक्ताओं ने कई उदाहरण दिये। चार श्रम संहिताओं के ख़िलाफ़ मज़दूरों के विरोध प्रदर्शनों को दबाने की कोशिश की जा रही है। यहां तक कि मज़दूरों और उनके यूनियनों द्वारा सामूहिक रूप से शिकायत दर्ज करने को भी भारतीय न्याय संहिता धारा 111 के अनुसार “संगठित अपराध” के रूप में व्याख्या करने की कोशिश की जा रही है। इसके चलते, मज़दूरों और उनकी यूनियनों के नेताओं पर गैर-जमानती कारावास सहित कठोर पुलिस कार्रवाई की जा रही है।

मज़दूरों के बीच खौफ का माहौल फैलाने की कोशिश की जा रही है। सभा को यह जानकारी दी गई कि सरकार ने इस सर्व हिन्द अधिवेशन को भी रोकने की पूरी कोशिश की थी। वक्ताओं ने मज़दूरों की एकता व संघर्षों को तेज़ करके, पूंजीपतियों के हमलों का मुंहतोड़ जवाब देने के संकल्प को ज़ाहिर किया।

चार श्रम संहिताओं को लागू करके, मज़दूरों के सालों-सालों के संघर्षों से जीते गए अधिकारों को छीना जा रहा है तथा शोषण कई गुना बढ़ाया जा रहा है। काम के घंटों का बढ़ाया जाना, युनियन बनाने व हड़ताल करने के अधिकार पर पाबंदियां, बढ़ती ठेकेदारी, जीने लायक वेतन व सामाजिक सुरक्षा न मिलना, कार्यस्थल पर घोर असुरक्षा – इन चौ-तरफ़ा हमलों के खि़लाफ़ संघर्ष को तेज़ करने का ऐलान किया गया।

देशी-विदेशी इजारेदार पूंजीवादी घरानों को देश की जनता की भूमि, श्रम और कुदरती संसाधनों को लूटने के लिए दी गयी पूरी छूट की कड़ी निंदा की गयी। इसके साथ-साथ, मज़दूरों की जुझारू एकता को तोड़ने के इरादे से धर्म-जाति व समुदाय के आधार पर बंटवारा व हिंसा भड़काने की हुक्मरानों की कोशिशों को ख़ारिज करने का आह्वान किया गया।

अधिवेशन में उठायी गयी अन्य मुख्य मांगें थीं – रेल, सड़क परिवहन, खदानों, पोर्ट एंड डॉक, रक्षा उत्पादन, बिजली, इस्पात, पेट्रोलियम, डाक, दूरसंचार (टेलिकॉम), बैंक व बीमा क्षेत्रों, आदि के निजीकरण को तुरंत रोकना; शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र में बढ़ते निजीकरण को फ़ौरन रोकना तथा अच्छी सर्वव्यापक सरकारी स्वास्थ्य व शिक्षा व्यवस्था कायम करना; 26,000 रुपये प्रति माह न्यूनतम वेतन तथा महंगाई के साथ उसमें नियमित वृद्धि सुनिश्चित करना; 8 घंटे काम का दिन; समान काम के लिए समान वेतन; रिक्त पदों पर भर्ती; पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीस) की बहाली; स्कीम वर्कर तथा अनौपचारिक क्षेत्र के मज़दूरों, निर्माण व गिग मज़दूरों आदि के लिए न्यूनतम वेतन व सामाजिक सुरक्षा की गारंटी, इत्यादि।

अधिवेशन ने 26 जून 2025 को बिजली कर्मियों की घोषित हड़ताल के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया।

इन सभी मांगों के लिए अपने संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए, 20 मई 2025 को सर्व हिन्द आम हड़ताल करने का संकल्प लिया गया।

 

 

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