सर्व हिंद निजीकरण विरोधी फोरम (AIFAP) द्वारा 15 अप्रैल 2025 को नई दिल्ली में आयोजित बिजली और अन्य क्षेत्रों में निजीकरण पर सर्व हिंद सम्मेलन में पारित संकल्प
सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और विभिन्न सरकारी विभागों के निजीकरण पर संकल्प
केंद्र सरकार द्वारा 1991-92 में निजीकरण और उदारीकरण के माध्यम से वैश्वीकरण की नई आर्थिक नीति (LPG) शुरू किए जाने के बाद से, केंद्र या राज्य स्तर पर सरकार बनाने वाले अधिकांश राजनैतिक पार्टियों और गठबंधनों ने निजीकरण को आगे बढ़ाया है। विरोध के मुताबिक कुछ ने इसे तेजी से और कुछ ने थोड़ा धीरे-धीरे किया।
हालांकि निजीकरण से श्रमिकों और उपभोक्ताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, लेकिन सरकारें इसे बड़े पूंजीपतियों और कॉरपोरेट्स के हितों की सेवा के लिए लागू कर रही हैं, जिनका एकमात्र एजेंडा अपने मुनाफे को अधिकतम करना है।
निजीकरण के वास्तविक इरादे को छिपाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (PSE) की सीधी बिक्री के अलावा, लिए अलग-अलग नामों- विनिवेश, निगमीकरण, मुद्रीकरण, आउटसोर्सिंग, ठेकेदारी और सार्वजनिक निजी भागीदारी(PPP) आदि के तहत निजीकरण किया गया है।
कई सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को उनके निजीकरण को सही ठहराने के लिए जानबूझकर बर्बाद कर दिया गया है। निजी क्षेत्र को सहूलतें दी गई है और फिर सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को प्रतिस्पर्धी नहीं होने के लिए दोषी ठहराया गया है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सरकारी विभागों में बड़ी संख्या में रिक्त पदों को नहीं भरा जाता है, जिससे सेवा में गिरावट आती है और निजीकरण के पक्ष में जनमत तैयार किया जाता है।
बिजली, रेलवे, बैंक, बीमा, रक्षा उत्पादन, दूरसंचार, बंदरगाह, कोयला, पेट्रोलियम, इस्पात और अन्य क्षेत्रों के श्रमिकों द्वारा निजीकरण के हर प्रयास का कड़ा विरोध किया गया है। कई मामलों में उपभोक्ताओं/उपयोगकर्ताओं और आम लोगों ने अपना समर्थन दिया और निजीकरण के खिलाफ संघर्ष को मजबूत किया। कुछ मामलों में, एकजुट निजीकरण विरोधी संघर्षों ने सरकार की योजनाओं को रोकने में सफलता प्राप्त की। हालाँकि, विभिन्न तरीकों से निजीकरण जारी है।
श्रमिकों और लोगों के विरोध के बावजूद निजीकरण की नीति को जारी रखना दर्शाता है कि देश की नीतियों को तय करने में उनकी कोई भूमिका नहीं है। सरकारों को लोगों के प्रति जवाबदेह बनाने का कोई साधन नहीं है। वास्तव में, सरकार दर सरकार अपने वादों से मुकर गई है और यहां तक कि लंबे संघर्षों और बलिदानों के बाद हुए समझौतों का भी उल्लंघन किया है।
निजीकरण न केवल श्रमिक विरोधी है, बल्कि यह जनविरोधी और समाज विरोधी भी है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सरकारी विभागों की संपत्तियां श्रमिकों की पीढ़ियों की कड़ी मेहनत और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के माध्यम से एकत्रित किये हुए लोगों के पैसे से बनाई गई हैं। सरकार को कर एकत्र करने का अधिकार केवल इसलिए है क्योंकि उसका कर्तव्य लोगों के कल्याण और सुरक्षा का ध्यान रखना है।
सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियां भारतीय लोगों की हैं। उन्हें निजी लाभ के लिए बड़े पूंजीपतियों को सौंपना स्वीकार्य नहीं है।
हम, बिजली, रेलवे, बैंक, बीमा, दूरसंचार, कोयला, इस्पात, सड़क परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों से, 15 अप्रैल 2025 को नई दिल्ली में AIFAP (सर्व हिंद निजीकरण विरोधी फोरम) द्वारा आयोजित बिजली और अन्य क्षेत्रों में निजीकरण पर सर्व हिंद सम्मेलन के प्रतिभागी और लोगों और उपभोक्ताओं के विभिन्न संगठनों के सदस्य, भारत के सभी मेहनतकश लोगों से निजीकरण की मजदूर-विरोधी, जन-विरोधी और समाज-विरोधी नीति को स्वीकार करने से इंकार करने का आह्वान करते हैं। भारत के सभी मेहनतकश लोग हमारे समाज की सारी संपत्ति के निर्माता हैं और इसलिए वे इसके असली मालिक हैं। उनमें से प्रत्येक को उन सभी द्वारा मिलकर बनाई गई इस संपत्ति का लाभ उठाने में सक्षम होना चाहिए। किसी भी निजी उद्यम को उनसे लाभ कमाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
हम जो यहां एकत्र हुए हैं, वे सभी मजदूर वर्ग के सदस्यों, अन्य मेहनतकशों और आम लोगों के साथ अपनी एकता को मजबूत करने का संकल्प लेते हैं, सभी बाधाओं को पार करते हुए, किसी भी क्षेत्र में निजीकरण का विरोध करते हैं।
हम मांग करते हैं कि केंद्र और राज्य की सरकारें इस मजदूर-विरोधी, जन-विरोधी, समाज-विरोधी निजीकरण अभियान को तुरंत रोकें।
हम मांग करते हैं कि केंद्र और राज्य की सरकारें सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी विभागों को मजबूत करने के लिए तुरंत सभी आवश्यक कदम उठाएं, स्थायी कर्मचारियों द्वारा रिक्तियों को तुरंत भरें, सभी अनुबंध श्रमिकों को तुरंत स्थायी करें, और बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए तत्काल आवश्यक निवेश करें ताकि वे भारत के सभी लोगों को उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले उत्पाद/सेवाएं दे सकें।