कामगार एकता कमेटी (केईसी) संवाददाता की रिपोर्ट
बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति (NCCOEEE) के आह्वान पर देशभर में बिजली क्षेत्र के लाखों कर्मचारियों और इंजीनियरों ने 29 मई 2025 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दो डिस्कॉम के निजीकरण के खिलाफ और उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों के साथ एकजुटता दिखाते हुए बिजली उपयोगिता मुख्यालयों, थर्मल प्लांटों और अन्य कार्यस्थलों पर दोपहर के भोजन के समय प्रदर्शन किया।
तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना, हैदराबाद, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश के सभी जिलों और देश भर के अन्य राज्यों में विरोध प्रदर्शन हुए।
उत्तर प्रदेश के विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक और ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) के अध्यक्ष श्री शैलेंद्र दुबे ने लखनऊ में कहा कि उत्तर प्रदेश के बिजली क्षेत्र का निजीकरण करने की कोई जरूरत नहीं है। UPCCL घाटे को अधिक दिखाने और बिजली क्षेत्र को निजी हाथों में सौंपने के लिए आंकड़ों में हेराफेरी कर रही है। यूपी सरकार के विभागों की बकाया राशि 14,400 करोड़ रुपये है। पिछले साल UPPCL द्वारा गलत बिजली खरीद समझौतों के कारण बिना बिजली खरीदे ही 6,761 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया था। इसके अलावा, उपभोक्ताओं को दी जाने वाली बिजली का 85% हिस्सा बिजली खरीद लागत है और केवल 15% संचालन और रखरखाव शुल्क है।
AIPEF के मुख्य संरक्षक श्री पदमजीत सिंह ने कहा कि UPPCLने यूपी में चल रहे संघर्ष को दबाने के उद्देश्य से एक कठोर आदेश लागू किया है। निजीकरण के लिए टेंडर नोटिस जारी होने के बाद भी UPPCL किसी भी नियम और कानून का पालन नहीं कर रहा है।
देश भर के बिजली क्षेत्र के विभिन्न नेताओं ने कड़ी चेतावनी जारी की है कि उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों का किसी भी तरह का उत्पीड़न चुपचाप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश के सभी 27 लाख बिजली कर्मचारी सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे जिसके कारण यदि कोई बाधा होती है तो उसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार जिम्मेदार होगी।