ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन का बयान (AIPEF)

सात राज्यों के मंत्रिसमूह की हालिया बैठक के बाद, केंद्र सरकार राज्यों को बिजली के निजीकरण के संबंध में तीन विकल्प दे रही है; अन्यथा, उन राज्यों को मिलने वाला केंद्रीय अनुदान बंद कर दिया जाएगा।
पहला विकल्प है: राज्य सरकार बिजली वितरण निगमों (डिस्कॉम) में अपनी 51% हिस्सेदारी बेच दे और बिजली वितरण कंपनियों का संचालन पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के तहत करे।
दूसरा विकल्प है: बिजली वितरण कंपनियों में अपनी 26% हिस्सेदारी बेचकर प्रबंधन किसी निजी कंपनी को सौंप दे।
तीसरा विकल्प यह है: जो राज्य निजीकरण नहीं चाहते, उन्हें अपनी बिजली वितरण कंपनियों को सेबी और स्टॉक एक्सचेंज में पंजीकृत कराना होगा।
मंत्रिसमूह की बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि जो राज्य इन तीनों विकल्पों में से कोई भी विकल्प नहीं चुनेंगे, उन्हें केंद्र से मिलने वाला अनुदान रोक दिया जाएगा और आगे कोई वित्तीय सहायता नहीं दी जाएगी।
बिजली संविधान की आठवीं अनुसूची में समवर्ती सूची में है, यानी केंद्र और राज्य सरकारों को बिजली के मामलों में समान अधिकार प्राप्त हैं। ऐसे में सिर्फ़ सात चुनिंदा राज्यों (उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु) की राय के आधार पर निजीकरण का फ़ैसला राज्य सरकारों पर कैसे थोपा जा सकता है?
मुंबई में 4 और 5 नवंबर को होने वाली डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट 2025 का एकमात्र एजेंडा भी यही है – “डिस्कॉम सस्टेनेबिलिटी के लिए पीपीपी मॉडल”। अब यह स्पष्ट है कि इस डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट 2025 के निष्कर्ष, मंत्रिसमूह की बैठक की राय से ही मेल खाएँगे। ऐसा प्रतीत होता है कि निजीकरण के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान को आक्रामक रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है।
दिलचस्प बात यह है कि अखिल भारतीय डिस्कॉम एसोसिएशन (AIDA) को मंत्रिसमूह की सभी बैठकों में आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया जाता है। AIDA सोसाइटी एक्ट के तहत पंजीकृत है, जिसमें AIPEF सहित सभी एसोसिएशन पंजीकृत हैं। लेकिन विद्युत मंत्रालय द्वारा AIDA को विशेष दर्जा दिया जा रहा है और इसे विद्युत मंत्रालय (MoP) की आधिकारिक बैठकों में भी आमंत्रित किया जाता है। AIDA, निजी घरानों के साथ मिलकर डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट 2025 के आयोजकों में से एक है। यह एक बहुत ही गंभीर घटनाक्रम है। ऐसा लगता है कि AIDA ने डिस्कॉम के निजीकरण में बिचौलिए की भूमिका निभानी शुरू कर दी है।
उत्तर प्रदेश में निजीकरण की प्रक्रिया व्यापक रूप से लागू की जा रही है और बिजली कर्मचारी पिछले 11 महीनों से इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि देश भर के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर एकजुट होकर एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करें।
इंकलाब ज़िंदाबाद।
AIPEF
