प्रेस विज्ञप्ति 19 – 10 -2021
ALL INDIA POWER ENGINEERS FEDERATION
केंद्रीय विद्युत मंत्री को पत्र भेजकर पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन ने एनर्जी एक्सचेंज में बिजली की कालाबाजारी रोकने हेतु फोरम ऑफ रेगुलेटर्स की बैठक तत्काल बुलाने की मांग की:
कोयला संकट की जांच हेतु उच्च स्तरीय तकनीकी कमेटी बनाने की मांग
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने केंद्रीय विद्युत मंत्री को पत्र भेजकर यह मांग की है कि एनर्जी एक्सचेंज में निजी घरानों द्वारा 20 रु प्रति यूनिट तक बिजली बेचने की कालाबाजारी को रोकने के लिए तत्काल फोरम ऑफ रेगुलेटर्स की बैठक बुलाई जाए और एनर्जी एक्सचेंज में बिजली बेचने की अधिकतम दर तय की जाए| फेडरेशन ने यह भी मांग की है कि मौजूदा कोयला संकट की जांच हेतु एक उच्च स्तरीय तकनीकी समिति का गठन किया जाए जो ऐसे संकट से बचने के उपाय सुझाए जिससे भविष्य में ऐसा संकट ना होने पाए|
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने केंद्रीय विद्युत मंत्री आर के सिंह को प्रेषित पत्र में यह मांग की है कि कोयला संकट से उत्पन्न बिजली संकट के इस दौर में निजी घरानों को मनमाना मुनाफा कमाने और लूट की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए| इस हेतु फोरम आफ रेगुलेटर्स की बैठक तत्काल बुलाई जाए जो इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 62(1) ए के प्रावधानों के अनुसार बिजली की कालाबाजारी रोके और सुनिश्चित करें कि एनर्जी एक्सचेंज में किसी भी स्थिति में 5 रु प्रति यूनिट से अधिक की कीमत पर बिजली न बेची जा सके|
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने मौजूदा कोयला संकट को बिजली संकट का एक मुख्य कारण मानते हुए यह मांग की है कि एक उच्च स्तरीय तकनीकी समिति का तुरंत गठन किया जाए जो मौजूदा कोयला संकट की जांच कर कोयला संकट की जिम्मेदारी तय करें और यह भी सुझाव दें की ऐसी परिस्थिति में भविष्य में क्या कदम उठाए जाएं जिससे ऐसा संकट पुनः उत्पन्न न हो| फेडरेशन ने मांग की है कि उच्च स्तरीय समिति में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के प्रतिनिधि भी शामिल किए जाएँ जो कोयले की स्थिति का लगातार अनुश्रवण (मॉनिटरिंग) करते हैं |
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के पत्र में यह लिखा गया है कि मौजूदा राष्ट्रव्यापी संकट के दौर में जिस प्रकार एनर्जी एक्सचेंज में बिजली को मनमाने दरों पर रु 20 प्रति यूनिट तक पर बेचा जा रहा है उससे देश की बिजली वितरण कंपनियों की वित्तीय हालत कंगाली की स्थिति में पहुंच जाएगी| ध्यान रहे कि आम जनता की तकलीफों को देखते हुए बिजली वितरण कंपनियां बिजली कटौती न हो इसलिए महंगी दरों पर एनर्जी एक्सचेंज से बिजली खरीदने के लिए मजबूर हैं जो पहले से ही घाटे में चल रही बिजली वितरण कंपनियों की वित्तीय हालत और बिगाड़ देगी| ऐसे में केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग और राज्य के विद्युत नियामक आयोगों की यह ड्यूटी बनती है कि वे इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 62(1) ए के प्रावधानों के अनुसार बिजली की कालाबाजारी को रोके| इस हेतु फोरम ऑफ रेगुलेटर्स की बैठक तत्काल किया जाना नितांत आवश्यक है |
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने इस बात पर भी चिंता प्रकट की है की बिजली संकट के इस दौर में मूंदड़ा स्थित 4000 मेगावाट के टाटा बिजली घर और 4000 मेगावाट के अदानी बिजली घर को पूरी तरह बंद कर दिया गया है जबकि इन बिजली घरों को आयातित कोयले से संचालित किया जाता है और भारत में उत्पन्न कोयला संकट से यह बिजली घर किसी भी प्रकार प्रभावित नहीं है| उल्लेखनीय है कि आयातित कोयले से चलने वाले लगभग 30 % बिजली घर इस संकट के दौर में बंद हैं जिन्हे चलवाना केंद्र व् राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है| बिजली संकट की इस घड़ी में टाटा और अदानी जैसे निजी घरानों द्वारा बिजली घर बंद कर देना अत्यंत गैर जिम्मेदाराना कृत्य हैं जिसके लिए इन पर सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए| इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के रोजा बिजली घर, ललितपुर बिजली घर और बारा बिजली घर का उत्पादन लगभग आधी क्षमता पर चल रहा है जो अत्यंत चिंता का विषय है|
शैलेंद्र दुबे
चेयरमैन
9415006225