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मै एक बैंक कर्मचारी हूँ । आपकी AIFAP की वेबसाइट पर रेलवे के अलग अलग श्रेणी के मजदूरों के संघर्ष की खबर पढ़के, बेहद अच्छा लगता है । मगर यह बात बुरी भी लगती है कि वे सब एक होकर , शायद अपने अपने झंडे लेकर ही सही, मगर एक जॉइंट संघर्ष समिति बनाकर क्यों नही लड़ रहे । मेरे एक चाचा रेलवे में थे । उनसे मैंने १९७३-७४ के रेलवे हड़ताल के बारे में कई रोचक यादें सुनी हैं । अगर वैसी एकता वे फिर दिखायेंगे, तो सरकार एक दिन में ही शरण आएगी !