10/12/2021 से स्टेशन मास्टर्स की मौन हड़ताल
‘मौन ने कभी कोई अधिकार नहीं जीता‘ ऐसा एक पुरानी कहावत है। जब उनका मुंह भर जाता है तो लोग नहीं बोलते हैं। यह उन लोगों के साथ असभ्य होगा जो उन्हें खाना खिलाते हैं ताकि उन्हें पूरी तरह से चुप रखा जा सके। अनिर्णय के आगे झुकने और उसके परिणामों पर विलाप करने के बजाय, क्या यह एक बुद्धिमानी की बात नहीं होगी कि हम चुनौतियों के लिए खुद को तैयार करें और यह सोचना शुरू करें कि क्या किया जाना चाहिए?
शांति! हमारी चुप्पी को प्रबंधन ने गलत समझा। 7वें CPC द्वारा अपने GP को अपग्रेड करने के बाद से हम कूलिंग-ऑफ़ अवधि में थे। इसके अलावा, हम कोविड की राष्ट्रीय आपदा में सच्चे रक्षक बन गए, जब पूरा देश लगभग ठप था और यह हम थे, स्टेशन मास्टर, चुपचाप अपने और अपने परिवार को खतरे में डालते हुए पुरुषों और सामग्री का परिवहन कर रहे थे, अपने देश और उसके लोगों को प्राथमिकता दे रहे थे।
लेकिन इस मजदूर विरोधी सरकार और प्रशासन ने चुपचाप सुधारों के वेश में हमारे अर्जित और वैध अधिकारों को तोड़ दिया है। हम तोड़फोड़ करने वालों द्वारा दबा दिए गए थे, लेकिन अब समय आ गया है कि हम अपनी चुप्पी को तोड़ते हुए जोखिम उठाएं और हड़ताल करें। आंदोलन के मसौदे में भले यह – 72 घंटे की भूख हड़ताल, एक मूक हड़ताल है, लेकिन प्रशासन पर इसका दम घुटा देनेवाला प्रभाव होगा।
निश्चय ही यह हमारी इच्छा नहीं है, बल्कि प्रशासन का जोर है, हम मौन हड़ताली बनें। ठीक है, हमारे पास 10/12/2021 के लिए सिर्फ 15 दिन हैं नई कहावत को उकेरने के लिए – ‘मौन से जीतेंगे अधिकार‘