AIFAP > Posts > 16 और 17 दिसंबर 2021 को दो-दिवसीय अखिल भारतीय बैंक हड़ताल की तैयारी के लिए बैंक कर्मचारियों ने देश भर में राज्य स्तर पर धरने आयोजित किये
16 और 17 दिसंबर 2021 को दो-दिवसीय अखिल भारतीय बैंक हड़ताल की तैयारी के लिए बैंक कर्मचारियों ने देश भर में राज्य स्तर पर धरने आयोजित किये
आजकल तो सभी बैंक का इस्तेमाल तो करते है। अपने मेहनत की कमाई में से थोड़ा सा हिस्सा हम सब बैंकों में रखते है। हम अपना पैसा किसी बैंक मै इसलिए रखते है ताकि वह सुरक्षित रहे। जम हम किसी सरकारी बैंकों में पैसा रखते है तो हमें यह भरोसा होता है की मेरा पैसा सुरक्षित है। लेकिन आज केन्द्र सरकार अपने पुंजिपति मालिकों के लिए बैंकों का निजीकरण कर रहा है। क्या हमारी मेहनत की कमाई निजी बैंकों में सुरक्षित होगी। बैंकों में पड़ा मेहनत का पैसा आज सरकार की कल्याण योजनाओं, निर्माण उद्योग, यानी देश के विकास में काम आता है। निजी बैंक उनमें जमा पैसे उनके मालिकों के धन को और बढ़ाने में लगाएंगे। बैंकों में जमा हमारी पूंजी शेयर मार्केट, विदेशी मुद्रा तथा अन्य सट्टेबाजी योजना में लगा दिया जायेगा। बैंकों के निजीकरण से खतरा उनमें काम करने वाले कर्मचारियों से ज्यादा उनके उपभोक्ताओं को है। इसीलिए UFBU के आव्हान पर हम सभी नागरिकों को बैंक कर्मचारियों के संघर्ष में उनका साथ देश चाहिए।
लोगों के कल्याण के लिए लोगों का पैसा।
बैंकों का निजीकरण नहीं चलेगा।
आजकल तो सभी बैंक का इस्तेमाल तो करते है। अपने मेहनत की कमाई में से थोड़ा सा हिस्सा हम सब बैंकों में रखते है। हम अपना पैसा किसी बैंक मै इसलिए रखते है ताकि वह सुरक्षित रहे। जम हम किसी सरकारी बैंकों में पैसा रखते है तो हमें यह भरोसा होता है की मेरा पैसा सुरक्षित है। लेकिन आज केन्द्र सरकार अपने पुंजिपति मालिकों के लिए बैंकों का निजीकरण कर रहा है। क्या हमारी मेहनत की कमाई निजी बैंकों में सुरक्षित होगी। बैंकों में पड़ा मेहनत का पैसा आज सरकार की कल्याण योजनाओं, निर्माण उद्योग, यानी देश के विकास में काम आता है। निजी बैंक उनमें जमा पैसे उनके मालिकों के धन को और बढ़ाने में लगाएंगे। बैंकों में जमा हमारी पूंजी शेयर मार्केट, विदेशी मुद्रा तथा अन्य सट्टेबाजी योजना में लगा दिया जायेगा। बैंकों के निजीकरण से खतरा उनमें काम करने वाले कर्मचारियों से ज्यादा उनके उपभोक्ताओं को है। इसीलिए UFBU के आव्हान पर हम सभी नागरिकों को बैंक कर्मचारियों के संघर्ष में उनका साथ देश चाहिए।
लोगों के कल्याण के लिए लोगों का पैसा।
बैंकों का निजीकरण नहीं चलेगा।
बैंक कर्मचारियों के संघर्ष को लाल सलाम