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- »पूरे देश के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों को दो डिस्कॉम के निजीकरण के खिलाफ संघर्ष कर रहे उत्तर प्रदेश के अपने साथियों के साथ मजबूती से खड़ा होना चाहिए
- »उत्तर प्रदेश के दो डिस्कॉम के निजीकरण से बड़े पैमाने पर छंटनी होगी
- »दो बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण के फैसले के खिलाफ लखनऊ और उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए
- »मज़दूरों-किसानों ने किया विशाल धरने का आयोजन
- »पूरे भारत में बिजली कर्मचारियों ने बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और आउटसोर्सिंग और नौकरियों के अस्थायीकरण को रोकने की मांग की
आजकल तो सभी बैंक का इस्तेमाल तो करते है। अपने मेहनत की कमाई में से थोड़ा सा हिस्सा हम सब बैंकों में रखते है। हम अपना पैसा किसी बैंक मै इसलिए रखते है ताकि वह सुरक्षित रहे। जम हम किसी सरकारी बैंकों में पैसा रखते है तो हमें यह भरोसा होता है की मेरा पैसा सुरक्षित है। लेकिन आज केन्द्र सरकार अपने पुंजिपति मालिकों के लिए बैंकों का निजीकरण कर रहा है। क्या हमारी मेहनत की कमाई निजी बैंकों में सुरक्षित होगी। बैंकों में पड़ा मेहनत का पैसा आज सरकार की कल्याण योजनाओं, निर्माण उद्योग, यानी देश के विकास में काम आता है। निजी बैंक उनमें जमा पैसे उनके मालिकों के धन को और बढ़ाने में लगाएंगे। बैंकों में जमा हमारी पूंजी शेयर मार्केट, विदेशी मुद्रा तथा अन्य सट्टेबाजी योजना में लगा दिया जायेगा। बैंकों के निजीकरण से खतरा उनमें काम करने वाले कर्मचारियों से ज्यादा उनके उपभोक्ताओं को है। इसीलिए UFBU के आव्हान पर हम सभी नागरिकों को बैंक कर्मचारियों के संघर्ष में उनका साथ देश चाहिए।
लोगों के कल्याण के लिए लोगों का पैसा।
बैंकों का निजीकरण नहीं चलेगा।
बैंक कर्मचारियों के संघर्ष को लाल सलाम