रेल मज़दूरों को अखिल भारतीय लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (AILRSA) का संदेश
उनके प्रयासों में बार-बार विफल होने के बाद भी, भारतीय रेलवे के निजीकरण के लिए सरकार की स्पष्ट मंशा और त्वरित कार्रवाई को समझना होगा। वामपंथी यूनियनों, समाजवादी एचएमएस, बीएमएस, एआईआरएफ और एनएफआईआर सहित लगभग सभी संगठन, ट्रेड यूनियन भी रेलवे के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। लेकिन संयुक्त कार्रवाई के लिए ठोस प्रयास नदारद हैं। अभी भी कई कर्मचारी इस भ्रम में हैं कि यह मुझे प्रभावित नहीं करेगा।
रेलवे के निजीकरण के परिणामस्वरूप नौकरियों का नुकसान होगा, पहले से ही भयावह बेरोजगारी, हमारे समाज के सामाजिक रूप से उत्पीड़ित वर्गों के लिए अवसरों का नुकसान, मज़दूरों, लोगों और पूरी अर्थव्यवस्था के काम और सेवा स्तर में गिरावट आएगी। भारतीय रेलवे समेत तमाम इंफ्रास्ट्रक्चर बर्बाद हो जाएगा।
रेल का निजीकरण वापस लेना होगा, वापस लेना होगा