छोटे जमाकर्ता, किसान, स्वयं सहायता समूह और कमजोर वर्गो को हमारे साथ बैंक निजीकरण के विरुद्ध आवाज उठाना होगा

श्री पवन कुमार, राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष, आल इण्डिया बैंक आफीसर्स कॉन्फेडरेशन से प्राप्त रिपोर्ट

दस लाख से अधिक बैंककर्मियों का संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स ने सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंको को निजीकरण करने की केन्द्र सरकार के प्रयासों के विरोध में दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। इसके पहले दिन लखनऊ में स्टेट बैंक मुख्य शाखा के समक्ष सैकड़ो बैंककर्मियों ने जोरदार सभा एवं प्रर्दशन किया।
सभा में ऑयबाक (ऑल इण्डिया बैंक आफीसर्स कॉन्फेडरेशन) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री पवन कुमार ने बताया कि जो भ्रष्ट पूँजीपति सरकारी बैंको का हजारों करोड़ रूपया वापस नही कर पा रहे हैं, उनके हाथों सार्वजनिक क्षेत्रों की बैंको को बेचने की तैयारी सरकार के मानसिक दिवालियेपन को बताता है। सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको में जनता का जमा 157 लाख करोड़ रूपया डुबोने का अर्न्तराष्ट्रीय षड़यन्त्र रच रही है। ऐसे में छोटे जमाकर्ता, किसान, स्वयं सहायता समूह और कमजोर वर्गो को हमारे साथ बैंक निजीकरण के विरूद्व आवाज उठाना होगा।
एन.सी.बी.ई. (नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ बैंक एम्पलॉइज) के प्रदेश महामंत्री श्री अखिलेश मोहन ने कहा कि-बड़े औद्यौगिक घरानों ने राजनीतिक प्रभाव का उपयोग कर बैंको को खूब लूटा है। आज बैंकों के कुप्रबन्धन के चलते अनेक घोटाले उजागर हो रहे हैं। इस स्थिति के लिये बैंककर्मी नहीं बल्कि राजनीतिक दबाव जिम्मेदार है। सरकार उसे रोकने के बजाय बैंको का निजीकरण कर आम जनता की सामान्य बैंकिग सुविधाएं छीनना चाहती है। यह विरोध बैंककर्मियों का ही नहीं बल्कि आमजन का विरोध है।
प्रदर्शन में यू.पी.बैंक इम्पलाइज यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष कॉम. दीप बाजपेई ने रोष में कहा कि सरकार जनता की गाढ़ी कमाई, पूँजीपतियों के हितों के लिये, बैंको का निजीकरण करके उन्हें सौंपना चाह रही है। यह जनता के साथ धोखाधड़ी है। बैंककर्मी तथा आम जनता हरहाल में सरकार को निजीकरण करने से रोकेंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये फोरम के प्रदेश संयोजक कॉम वाई.के.अरोड़ा ने बताया कि सरकार बैंको का निजीकरण करके बैंको में जनता की धनराशि को चन्द पूँजीपतियों के हाथ सौंपकर उनके निजी स्वार्थ पूरा करना चाहती है। इसीलिए बैंककर्मी एकबार पुनः संघर्ष की राह पर हैं, हम सरकार को मनमानी नहीं करने देंगे।
फोरम के जिला संयोजक श्री अनिल श्रीवास्तव ने कहा कि हम सरकार की इन नीतियों के विरोध में एक माह से धरना, प्रदर्शन, पोस्टर कैम्पेन, मास्क धारण तथा रैली आदि के माध्यम से विरोधात्मक कार्यक्रम कर रहे हैं। उन्होंने बैंककर्मियों से आह्वान किया कि हमें सदैव इसी तरह एकता के साथ संगठन में जुड़े रहकर सरकार की आमजन विरोधी नीतियों का विरोध करना होगा।
सभा को कॉमरेड संदीप सिंह, आर.एन.शुक्ला, के.एच.पाण्डेय, एस.के.अग्रवाल, छोटेलाल, विभाकर कुशवाहा, राजेश शुक्ला, एस.के.लहरी, एस.के.संगतानी, दीपेन्द्रलाल, नन्दू त्रिवेदी, सौरभ श्रीवास्तव, एस.डी.मिश्रा, वी.के.सिंह, अमरजीत सिंह, डी.पी.वर्मा, विनय सक्सेना, यू.पी.दुबे आदि बैंक नेताओं ने सम्बोधित कर लम्बे संघर्ष के लिये तैयार रहने का आह्वान किया। यू.एफ.बी.यू. की देशव्यापी बैंक हड़ताल के समर्थन में कई संगठन आगे आये है, जिनमें आर्यावर्त बैंक के उ.प्र. के 26 जिलों के 7 हजार बैंककर्मी तथा देश के 45 ग्रामीण बैंको के एक लाख बैंककर्मी भी हड़ताल में शामिल हैं।
बैंक कर्मियों की आज की सभा के पूर्व बैंक ऑफ बड़ौदा अंचल कार्यालय में संदीप सिंह, इंडियन बैंक में दीप बाजपेई तथा बैंक ऑफ इंडिया के सौरभ श्रीवास्तव के नेतृत्व में अपनी शाखाओं में प्रदर्शन का आयोजन किया। उसके बाद सभी बैंकों के अधिकारी व कर्मचारी स्टेट बैंक मुख्य शाखा की सभा में सम्मिलित हुए।

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